हमसफ़र

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                                               हमसफ़र   

राह  तुम्हारी क़दम मेरे हों,
आँधी तूफ़ान या रेत के ढेरे हों,
चलना हमेशा साथ- साथ। 

सही ग़लत का भेद कहीं न हो,
अविश्वास का ज़हर कभी न हो,
बस चलना तुम साथ- साथ। 

शहद से मीठे बोल भले न हों, 
पुराने वो खेल चाहे न हों,
बस चलना तुम साथ- साथ। 

यौवन का सूरज चाहे ढल जाए,
बसंती बयार साथ छोड़ भी जाए,
बस चलना तुम साथ- साथ।

मुश्किलों भरी राह हो,

सिर्फ काँटें न कोई ग़ुलाब हो,
फ़िर भी चलना तुम साथ- साथ। 

मंज़िल का भी पता न हो अगर,

आसान या मुश्क़िल कैसी भी हो डगर,
कभी न छोड़ना हाथ,
बस चलना तुम साथ- साथ। 
बस चलना तुम साथ- साथ। 
(स्वरचित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google


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