काश!

'मन के मोती ' लेबल के अंतर्गत मेरे व्यक्तिगत विचार, व्यक्तिगत अनुभव, व्यक्तिगत वैचारिक दृष्टिकोण, मेरी डायरी के कुछ पन्नों और कुछ पुराने लेखों का समावेश किया गया है।
ज़रूर पढ़ें अपने विचार  अवश्य साझा करें। आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा में.……

dj 

शुरुआत कर रही हूँ, उस लेख से जो मैंने अपने विद्यालय काल में काल्पनिक लेखन प्रतियोगिता के तहत लिखा था, जो आज भी मेरी डायरी का एक हिस्सा है। इस लेख में मैंने अपनी तरफ से कोई परिवर्तन नहीं किया है न ही कोई गलती सुधरी है ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रही हूँ।  लेखन का कोई विशेष 'ज्ञान' न तब था न ही अब है। तब भी, बस जो मन में होता था वही इस लेखनी के माध्यम से कागज़ पर उतार देती थी और आज भी ………… इसीलिए मैं इन्हें  मन के मोती कहती हूँ.….


प्रतियोगिता में शीर्षक दिया गया था -    'काश!'

काश! मैं कोई पंछी होती और इस खुले आकाश में स्वतंत्रता और स्वछंदता से विचरण कर पाती। दुनिया  के इस कोलाहल व प्रदूषणयुक्त वातावरण से दूर, मुक्त होकर भ्रमण कर पाती। क्योंकि पंछी ही वे प्राणी हैं,जो स्वयं तो प्रगतिशील होते ही हैं, साथ ही अन्य व्यक्तियों व आसपास के संपूर्ण वातावरण को  ऊँचाइयों को छूने की प्रेरणा देते हैं। जब हम इन स्वछंद प्राणियों को इस स्वतंत्र गगन में विचरण करते हुए देखते हैं तो हमारे मन-मस्तिष्क में एक उमंग सी उठती है और हमें भी कुछ करने को, कुछ  पाने को और ऊँचाइयों को छूने  को लालयित हो जाते हैं। ये पंछी उन प्राणियों को कार्य करने की प्रेरणा देते हैं,जो जागते हुए भी सो रहे हैं। इनकी सम्पूर्ण जीवन-शैली हमें कुछ-न-कुछ करते रहने की प्रेरणा प्रदान करती है। जब ये पंछी आकाश में अत्यधिक ऊँचाई पर उड़ते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानों वे प्राणिमात्र को सन्देश दे रहे हों कि यदि हम पंछी, जो मनुष्यों से हर तरह से कमतर हैं इतनी ऊँचाई तक उड़ने की क्षमता रख सकते हैं तो आप क्यों नहीं?  उनकी कार्यक्षमता हमें प्रभावित करती है।हमें परिश्रम करने की प्रेरणा देती है। इसलिए मैं सोचती हूँ कि मैं पंछी होती ताकि मैं भी दूसरों की प्रेरणास्रोत बन पाती।
हमें इनसे प्रेरणा लेकर प्रगतिशील रहना चाहिए यदि विधाता ने हमें मनुष्य जीवन दिया है तो इसलिए कि हम यहाँ कुछ अलग पहचान बनाएँ और कुछ पाकर जाएँ अन्यथा यह सुन्दर जीवन यूँही  व्यर्थ चला जाएगा।
(स्वलिखित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google


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 और पढ़ें ये भी http://lekhaniblogdj.blogspot.in/

टिप्पणियाँ

  1. Ji Divya ji.. hamare b pankh hote to udhh ati re ... apki kalpnao ko apne bhot hi sundr roop diya he.. hum apke abhari he ki hume itni pyari kavitae padhne ka sobhagya prapt hua..

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  2. पंख न हो तब भी आप उड़ सकतीं हैं जैसे मैं उड़ रही हूँ आजकल लेखन के आसमान में।
    आप भी पता करें आपको किस आसमान में उड़ना पसंद है और फिर बेहिचक भरें उड़ान....
    धन्यवाद मेरा लिखा पसंद करने के लिए।

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  3. उत्तर
    1. हाँ याद है..... और वो एक बुढ़िया थी उसके चार बच्चे थे…। वो कहानी भी बहुत अच्छी तरह याद है। जिस पर एकमात्र मैंने ही पॉज़िटिव लिखा था और फर्स्ट प्राइज के लिए नाम announce होने पर भी उसी positivity के कारण प्राइज किसी और को देना पड़ा था। याद है…? प्यारी यादें

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  4. Bahut hi achhi lgti he pad kr apki kavuta

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