मेरा सुकून (कविता)
मुझे ये माहौल पसंद नहीं
ये चैं -चैं पैं-पैं,ये शोरगुल,
ये जोर-जोर से चिल्लाना ,
ये गाड़ी के हॉर्न को,
पीं -पीं करके,
देर तक जोर से बजाना,
मुझे तो पसंद है बस,
शांति में,
कागज़ कलम लेकर बैठ जाना,
सुबह सुबह,
उन दो चिड़ियों का,
यूँ प्यार से चहचहाना।
दिमाग में विचार,
और मुँह में चाय की चुस्की लेकर,
चंद शब्दों को,
कविता की माला में पिरो जाना।
(स्वरचित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google
ये चैं -चैं पैं-पैं,ये शोरगुल,
ये जोर-जोर से चिल्लाना ,
ये गाड़ी के हॉर्न को,
पीं -पीं करके,
देर तक जोर से बजाना,
मुझे तो पसंद है बस,
शांति में,
कागज़ कलम लेकर बैठ जाना,
सुबह सुबह,
उन दो चिड़ियों का,
यूँ प्यार से चहचहाना।
दिमाग में विचार,
और मुँह में चाय की चुस्की लेकर,
चंद शब्दों को,
कविता की माला में पिरो जाना।
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मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से साम्य एक संयोग मात्र ही हो सकता है।
आपकी पसंद क्या है ? चहल-पहल या शांति ?निःसंकोच लिख दीजिए।और इन पंक्तियों के बारे में अपने विचार व्यक्त करना मत भूलियेगा।
और इसे भी देख लें http://lekhaniblogdj.blogspot.in/
और इसे भी देख लें http://lekhaniblogdj.blogspot.in/
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 06 अक्टूबर 2017 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
अतिसुन्दर रचना! जीवन को एक नया आयाम देती हुई।
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