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क्या मैं भी हुनरमंद हूँ ?

रोज कुछ नया लिखती हूँ, रोज कुछ नया गढ़ती हूँ, बस लिख लेती हूँ, इसलिए ही आजकल खुश दिखती हूँ। वो उदासी वो निराशा, अब गायब सी हो गई है, लेखन से मन में, राहत सी हो गई है। लिखना तो बस अब , एक आदत सी हो गई  है। शायद इसीलिए, आजकल, ये कलम भी साथ देती है, मेरे मन की तुरंत ही, कागज़ पे उतार देती है। और मुझ पर लदा हर बोझ , एक पल में ये हर लेती है। कुछ नया करके मन ही मन प्रसन्न हूँ। ये सब कैसे हो रहा है, सोचकर मै खुद भी दंग हूँ। ये कागज़ कलम मुझे, और इन्हें मैं पसंद हूँ। आजकल लगने लगा है कि, मैं भी एक हुनरमंद हूँ। (स्वरचित)   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2015 Google इस ब्लॉग के अंतर्गत लिखित/प्रकाशित सभी सामग्रियों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। किसी भी लेख/कविता को कहीं और प्रयोग करने के लिए लेखक की अनुमति आवश्यक है। आप लेखक के नाम का प्रयोग किये बिना इसे कहीं भी प्रकाशित नहीं कर सकते।   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2015 Google मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से

मेरा सुकून (कविता)

मुझे ये माहौल पसंद नहीं  ये चैं -चैं  पैं-पैं,ये शोरगुल, ये जोर-जोर से चिल्लाना , ये गाड़ी के हॉर्न को, पीं -पीं करके, देर तक जोर से बजाना, मुझे तो पसंद है बस, शांति में, कागज़ कलम लेकर बैठ जाना, सुबह सुबह, उन दो चिड़ियों का, यूँ प्यार से चहचहाना। दिमाग में विचार, और मुँह में चाय की चुस्की लेकर, चंद शब्दों को, कविता की माला में पिरो जाना। (स्वरचित)   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2015 Google इस ब्लॉग के अंतर्गत लिखित/प्रकाशित सभी सामग्रियों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। किसी भी लेख/कविता को कहीं और प्रयोग करने के लिए लेखक की अनुमति आवश्यक है। आप लेखक के नाम का प्रयोग किये बिना इसे कहीं भी प्रकाशित नहीं कर सकते।   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2015 Google मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से साम्य एक संयोग मात्र ही हो सकता है। आपकी पसंद क्या है ? चहल-पहल या शांति ?निःसंकोच लिख दीजिए।और इन पंक्तियों के बारे में अपने विचार व्यक्त करना मत भूलियेगा।  और इसे भी देख