जीवन सारथि भाग-3


जीवन सारथि कहानी का यह तीसरा भाग है यदि आपने पिछले दो भाग नहीं पढ़े हैं तो यहां क्लिक कर उन्हें पढ़ सकते हैं 

 जीवन सारथि भाग-2

जीवन सारथि भाग-1






 जीवन सारथि भाग-3





राजश्री चाय के साथ कुछ बिस्किट्स और नमकीन ले आई। वह लड़की अब भी चुपचाप बैठी थी। शायद अभी भी वह घटना, वही दृश्य  उसकी आँखों के सामने घूम रहा था। 


"तुम्हारा नाम क्या है?" 

चुप्पी तोड़ने और उसका ध्यान वहाँ से हटाने के उद्देश्य से राजश्री ने पूछा। 


"रानी" नज़रें झुकाये हुए ही धीरे से वह बोली। 


सुन्दर नाम है रानी। और मैं राजश्री हूँ। कमाल है न हम दोनों के नाम 'र' से शुरू होते हैं। 

"तुम मेरी दोस्त बनोगी?"


आश्चर्य मिश्रित भाव से रानी ने राजश्री को देखकर "हाँ" कह दिया। 


चलो पहले चाय पी लो कुछ खा लो फिर हम दोनों मिल कर आराम से बातें करेंगे। 

राजश्री माहौल को हल्का बना कर इसी प्रयास में लगी थी कि वह सब कुछ भूल जाए।  पर मन के घाव भला इतनी जल्दी भरते हैं कहीं?



उसने राजश्री के कहने पर चाय का कप हाथ में ले लिया । फिर कुछ सोचकर, राजश्री को देखकर बोली -

"आपने कैसे मुझ पर भरोसा कर लिया,अगर मैंने झूठ बोला होता तो ?"


राजश्री उसे देख कर मुस्कुराई और बोली 

देखो रानी, मेरे  हिसाब से भरोसे के लायक जो नहीं होते न वे न तो लोगों की चुपचाप मार खाते हैं न ही ऐसे दयनीय हालातों में जीना उनकी मजबूरी होती है। 


अगर तुम चोरी करने वालों में से होती तो वहां खड़े होकर लोगों से पैसे ना मांगती और न ही चोरी करते हुए पकडे जाने पर खड़े उनकी बातें सुनतीं । मैं तुम्हें देखकर समझ गई थी कि या तो तुमने ये पहली बार किया है इसलिए पकड़ी गईं  या फिर वे लोग झूठ कह रहे हैं। अगर पहली  बार किया है तो तब तो तुम्हारी पहली गलती तुम्हें समझ आना और माफ़ होना बहुत जरुरी है। वरना ये ऐसे ही आगे बढ़ती रहेगी। और वैसे भी उस लड़के की शक्ल  देखकर मैं तब ही समझ गई थी, पर्स में 500 रूपए थे ये कह रहा है लेकिन शक्ल नहीं कह रही। और इसलिए दोनों ही सूरतों में मैं तय कर चुकी थी कि  मुझे तुम्हारा ही पक्ष लेना है। रानी की ऑंखें फिर नम हो गईं। 


अब ये मुद्दा यहीं ख़त्म। चाय पियो और जल्दी ये बताओ खाने में क्या खाओगी। मैं आर्डर करती हूँ। राजश्री ने बात से उसका ध्यान भटकाने हेतु जल्दी से कहा। 



"नहीं, मैं खाना नहीं खाऊँगी दीदी।"

"आपने इतना किया वही बहुत अब मुझे चलना चाहिए।"


 "कहाँ जाओगी?"


"पता नहीं"


"दीदी भी कहना है बात सुनना भी नहीं है। तुम्हें सड़क पर वापस छोड़ देना होता तो अपने साथ लाती ही नहीं और वापस जाकर करोगी क्या फिर वही ?"


"बैठ जाओ।"


आज और कल का दिन आराम करो और सोचो कि क्या काम तुम कर सकती हो फिर मुझे बताओ तुम्हारे लायक कुछ देखते हैं राजश्री ने खाना आर्डर किया खाकर कुछ बातें की। 


थोड़ी देर बैठने के बाद राजश्री ने उसे किचन बताते हुए कहा कुछ जरुरत हो तो वहाँ से ले सकती हो।  राजश्री ने उसे अपने कमरे के पास बने गेस्ट रूम में जाकर सोने के लिए कहा और खुद भी अपने कमरे की और रुख किया।  


राजश्री की आँखों में नींद नहीं थी।  उसे आज रह रह के वीणा के साथ के दिन याद  आ रहे थे। उसकी स्थिति भी कम चिंतनीय न थी। ऐसे ही एक दिन वीणा को वह अपने साथ लेकर आ गई थी अपने घर और वीणा इसी तरह संकोच कर रही थी हर बात में। उसकी राह भी तो आसान कहाँ थी? कठिन फैसला लेना था उसे जीवन में राजश्री याद करने लगी कैसे उसे समझाने के बाद वीणा राजश्री से घुलने मिलने लगी थी अब वह  दिन में एक बार उससे घर की बातें  साझा कर ही लेती थी जिससे वीणा का मन हल्का हो जाता था। राजश्री उससे अपनी  किसी अभिन्न मित्र की तरह ही व्यवहार करती। पैसों से अति समृद्ध तब राजश्री भी नहीं थी मगर अकेली थी खुद का कोई विशेष खर्च न था और कुछ करने के लिए सिर्फ पैसा ही नहीं चाहिए होता। राजश्री बस किसी को दुखी नहीं देखना चाहती थी विशेषतः महिलाओं के प्रति उसकी विशेष सहानुभूति रहती थी। इसलिए वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहती थी। उस दिन वीणा ने आकर बताया था कि उसे 3 माह का गर्भ  है।  राजश्री ने उसे विशेष हिदायत दी थी अपना ध्यान रखे। वीणा भी बहुत खुश थी।  आज उसे एक नया मकसद मिल गया था जीवन का।राजश्री भी खुश थी परन्तु  साथ ही उसके मन में घबराहट भी थी उसके पति और घर के ऐसे सहानुभूतिविहीन असंवेदनशील वातावरण  में एक नए नन्हें मेहमान के आने को लेकर राजश्री बहुत चिंतित थी । 


वीणा ने सुरेश से भी पहले ये बात राजश्री को बताई थी पति को तो वैसे भी कोई सरोकार था ही नहीं वीणा के जीवन में क्या घटित हो रहा है क्या नहीं। वीणा ने कहा की वह पति को भी आज बताएगी।


घर पहुंच कर जब उसने सुरेश से जिक्र किया तो उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया न मिली।वीणा को गहरा धक्का लगा। दूसरे दिन विद्यालय में उसने ये बात राजश्री को भी बताई। स्कूल में राजश्री दिनभर सरदर्द से परेशान रही और  वीणा के ही बारे में ही सोचती रही। शाम को वीणा घर के लिए निकली राजश्री ने भी अपने घर की और और रुख किया परन्तु कुछ ही दूर पहुँची होगी कि  न जाने उसके मन में क्या आया। वह वीणा के घर की और चल पड़ी। 


उसे पक्का तो नहीं पता था कि घर कौन सा है? पर बातों में कई बार वीणा ने  जिक्र किया था मोहल्ले और अपने किराये के घर के बारे में। कुछ ही देर में राजश्री वीणा के घर के सामने पहुंची। असमंजस में ही थी कि  घर यही है या नहीं और अंदर जाऊं या ना जाऊंइसी उधेड़बुन में अंदर से चीखने की आवाज़ आई।  राजश्री  बिना सोच विचार किए  अंदर दाखिल हो गई जैसे ही वह अंदर गई वहाँ का दृश्य देख आश्चर्य व् क्रोध से भर गई वह। वीणा के पति ने हाथ में डंडा लिया हुआ था और राजश्री  के कुछ करने से पहले उसके सामने वीणा के सर पर एक बार वार भी कर चुका था। गनीमत थी कि  वीणा को बहुत गहरी चोट नहीं आई थी।  लेकिन अब वह उसके पेट पर प्रहार करने की तैयारी में था। राजश्री  ने उसके शर्ट को पीछे से पकड़ इतने जोर से खींचा कि वह पीठ के बल नीचे गिरा और फिर पर्स में रखा पेपर स्प्रे उसकी आँखों  में डाल दिया और वीणा के पास जा कर खड़ी हो गई। सुरेश दर्द से कराह उठा।  वीणा राजश्री को देखती ही रह गई। राजश्री तुरंत वीणा को लेकर बाहर निकली उसे अपनी स्कूटी पर बिठाया और हॉस्पिटल लेकर गई। वीणा गहरे सदमे और दर्द में थी। शरीर पर लगे ज़ख्मों से अधिक दर्द उसके मन पर लगे घाव दे रहे थे। सिर पर लगी चोट और लगातार सोच विचार के कारण उसे चक्कर से आरहे थे। हॉस्पिटल पहुंचकर जैसे ही वह गाड़ी से उतरी लड़खड़ा गई और गिरने लगी.राजश्री ने गाड़ी वैसे ही छोड तुरंत  उसे संभाला  और अंदर आवाज़ दे स्ट्रेचर बुलवाया।  वीणा को अंदर ले जाया गया राजश्री ने अपनी गाड़ी उठा कर पार्किंग में लगाईं और दौड़ती हुई अंदर गई। 


चिकित्सालय की सभी औपचारिकताएँ पूरी  कर उसने वीणा को भर्ती करवाया। वीणा परेशान सी इधर उधर चक्कर काट मन ही मन भगवान को मनाती  रही कि  वीणा और उसका बच्चा बिलकुल स्वस्थ व् सुरक्षित रहें। आधे  घंटे बाद डॉक्टर ने सोनोग्राफी व् अन्य जांचें  कर राजश्री को बताया कि चोट सिर्फ बाहरी है और ज्यादा गहरी नहीं है।  बच्चे को भी कोई क्षति नहीं पहुंची है चिंता न करें वह जल्दी ठीक हो जाएगी। 

चोट कैसे गहरी नहीं है? इतनी गहरी है कि शायद पूरा जीवन लग जाएगा भरने में। राजश्री सोचने लगी उसकी आँखें नम हो गईं।  

राजश्री ने डॉक्टर को धन्यवाद दिया और वीणा से मिलने चली गई वीणा ने राजश्री को देखा तो अविरल अश्रु धारा  के साथ मन के सब दुःख दर्द भी बहने लगे राजश्री ने उसे बमुश्किल चुप करवाया।  

देखो वीणा ये समय चिंता करने का नहीं है तुम्हें अपने साथ उसके विषय में भी सोचना है जिसकी जिम्मेदारी है तुम पर आने वाले समय में।  खैर अभी कोई बात नहीं करते हैं। तुम आराम करो और कुछ मत सोचो। मैं डॉक्टर से बात करके दवाईयाँ लेकर आती हूँ। राजश्री कुछ बोलना नहीं चाहती थी इस वक्त क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह कुछ बोली तो फिर से उसमे वीणा के लिए पति को छोड़ देने की कठोर नसीहत जरूर शामिल होगी और राजश्री चाहती थी कि वीणा के फैसले स्वयं वीणा ही ले। सोच विचार में गुम राजश्री कमरे से बाहर ही निकल रही थी की वीणा की आवाज़ आई। 


"दीदी"


"हाँ" 


"मैं अब वापस उस घर में नहीं जाऊँगी।" कहकर वीणा फिर रोने लगी 


राजश्री के मन में अब संतुष्टि के भाव थे। अब उसके मन में वीणा के लिए घर कर चुकी चिंता कुछ कम हो गई थी। 


"दवाई लेकर आती हूँ फिर हम हमारे घर चलेंगे तुम्हारे पति के घर नहीं।"कहकर राजश्री मुस्कुरा दी।   


राजश्री के चेहरे पर वर्तमान में भी आंसुओं के साथ एक मुस्कान उभर आई। रात के 2 बज चुके थे। वह लाइट जला अपनी डायरी पेन लेकर बैठ गई। कुछ देर अपने मन की स्याही से कागज़ रंगने के बाद फिर सोच विचार में डूब गई।  


रानी की आँखों में भी आज कहाँ नींद होगी राजश्री सोचने लगी कि कैसे उसके मूड को बदला जाएराजश्री ने तरीका सोच लिया था सोचकर ही उसके चेहरे पर मुस्कराहट तैर गई। सुबह जल्दी भी उठना है उस लड़के को भी बुलाया है सोचकर राजश्री सोने की कोशिश करने लगी।


सुबह राजश्री उठकर नहाने गई वापस आई तब तक रानी ने चाय बना दी थी।

राजश्री ने तैयार होते हुए कहा 2 दिन तुम फुल रेस्ट करो।  कुछ करने की जरुरत नहीं है न ही कुछ सोचने की। 

कल मेरी 1 प्यारी सी चिड़िया का जन्मदिन है और तुम भी मेरे साथ चलोगी उसे भी अच्छा लगेगा और तुम्हारा मूड तो इतना अच्छा हो जाएगा कि बस।  मैं ग्यारन्टी देती हूँ उससे मिलकर तुम पिछला  सब भूल जाओगी। 

और ये सब छोड़ो तुम अभी शालिनी आएगी वो नाश्ता खाना सब बना देगी बात करना उससे भी अच्छी लड़की है। 

राजश्री बोली इतने में दरवाज़े की घंटी बजी 


"लो नाम लिया और आ गई"

"सौ साल जियोगी तुम" दरवाज़ा खोलते हुए मुस्कुराकर राजश्री बोली।  


"हां दीदी अब तो मन करता भी है कि  सौ साल जियूं। सब आपकी संगत का असर है।  "


"बिलकुल जियोगी मेरी बात हो गई भगवान् से" राजश्री ने कहा और दोनों हंसने लगीं। 

उन्हें देखकर रानी भी मुस्कुरा दी। 


"अच्छा सुनो ये रानी है आज इसके लिए भी खाना बनाना।  "

और शाम को मेरे साथ चलना है तैयार रहना।ओह हाँ दीदी कल तो छोटी राजश्री का जन्मदिन है न  बिलकुल जाना ही पड़ेगा वरना छोटी राजश्री तो मेरी चटनी बना देंगी। 

कहकर शालिनी हंसने लगी। 


आपकी बेटी भी है? रानी ने पूछा। 


हाँ समझ लो मेरी ही है। ज़ेरॉक्स कॉपी है मेरी।  शालिनी बता देगी तुम्हें। 


चलो अब बातें बाद में, हाँ। आराम से दोनों बैठकर करना दोपहर में फ़िलहाल मुझे 2 -3 लोगों से मिलना है। फिर कुछ काम से भी जाना है। पहले नाश्ता बना लो जल्दी से। 

 

शालिनी किचन में जाने लगी। 

 "मैं मदद कर  देती हूँ।" कहकर  रानी भी उठ गई।  


तुम नहीं मानोगी। चलो ठीक है, दोनों मिलकर बना लो। 



राजश्री ने वीणा को फ़ोन मिलाया। 


गुड मॉर्निंग दीदी बोलिए। 


संस्था गई थी तुम ?


नहीं, कल आपकी बेटी को जन्मदिन की शॉपिंग पर ले गई थी आज जाऊँगी। 


राजंशी गई स्कूल ?


हाँ दीदी अभी। 


ओके सुनो 

मैं, शालिनी, शालिनी का बेटा, और वह  जो नई लड़की है न, रानी नाम है उसका। हम सब आएँगे चिड़िया का जन्मदिन  मानाने।  


सुनकर वीणा खुश हो गई। 


और सुनो उसको बताना नहीं अभी। 

सरप्राइज़ देंगे। 


अच्छा है आपके साथ कुछ दिन रहेंगे मज़ा आयगा खूब बातें करनी हैं आपसे। 


अरे! अरे! अरे! ब्रेक लगाओ वीणा। 


मैं ज्यादा रुक नहीं पाऊँगी आज शनिवार है शाम को निकलेंगे रात तक पहुंच जाएँगे। परसों सोमवार है और रविवार जन्मदिन मानकर शाम को निकल जाऊँगी  मैं शालिनी को लेकर। रानी को तुम्हारे पास छोडूंगी 1 -2 दिन। संस्था ले जाना उसे मन बहल जाएगा।


अरे  प्लीज़ दीदी रुक जाना न। 


अरे वीणा समझा करो यार दूसरे दिन एक केस की सुनवाई है।

फिर कभी प्लान करते हैं साथ रहने का। 

और सुनो रक्षा के पेरेंट्स को पैसे भेजना मत भूलना ठीक है। 


आपको इतना सब याद कैसे रहता है दीदी कोर्ट का, बाहर का, घर का, संस्था का, ऑफिस का ?

सब काम आपको जुबानी याद रहते हैं। 


ज़ुबानी याद तब रहती हैं चीज़े जब वो हरदम ज़ेहन में रहती हैं। 

मेरे लिए लाइफ का मतलब ही यही है वीणा बस। 


और अब तुम मेरी जगह फिट हो रही हो धीरे धीरे और मुझे तुमसे बहुत उमीदें  हैं इसको तुम्हें और राजन्शी  को ही आगे बढ़ाना है किसी भी कीमत पर। 


हम बिलकुल करेंगे दीदी। 


थैंक्यू। 


थैंक्स टू यू दीदी मेरे जीवन को दिशा देने के लिए। 


कितनी बार थैंक्स बोलोगी? चलो मैं रखती हूँ। तुम्हें भी जाना होगा न ?


हाँ दीदी मिलते हैं जल्दी। कहकर वीणा ने फ़ोन रख दिया । 


"आज बहुत से काम निपटाने हैं।  "


कल निकलना भी है खुद  से ही बड़बड़ाती हुई राजश्री स्टडी रूम में चली गई और अपने काम निपटाने लैपटॉप खोल बैठ गई कुछ देर बाद शालिनी नाश्ता लेकर आई। 


बाहर ही आरही हूँ मैं साथ ही  बैठकर करते हैं चलो। 


और सुनो 


आज तुम यहीं रुकना तुम्हारे बेटे को स्कूल से लेने के लिए काका को भेज देना वे चले जाएँगे। 

शाम को मैं आती हूँ फिर वीणा के घर  के लिए निकलेंगे। 


जी दीदी 


तीनो ने साथ बैठ कर नाश्ता किया। 


दीदी खाने में क्या बनाऊँ?


दोनों मिलकर तय कर लो जो पसंद हो बना लो मैं खाकर नहीं जाऊँगी ।

अभी मैं ऑफिस में हूँ दो  घंटे।  फिर काम निपटाकर चिड़िया के लिए गिफ्ट लेकर घर आउंगी। 

आज बहुत काम निपटाने हैं कल के भी। तो सीधा शाम को मिलते हैं ठीक है। 


हाँ दीदी। शालिनी ने कहा। 


काका भी आगये हैं शायद।  देखो उन्हें चाय नाश्ता दे दो। 

जी दीदी 


बाहर घर के बगीचे  में बने अपने ऑफिस में जाकर बैठ गई। 



वह युवक ऑफिस के बाहर ही इन्तजार कर रहा था राजश्री ने उसे अंदर बुलाया, उसे समझाइश दी।बातचीत में पता चला उसका नाम रितेश है, पहले वाहन चालक रह चुका है पर फ़िलहाल एक साल से उसके पास कोई काम नहीं है। 

 

राजश्री ने फ़ोन उठाकर किसी को फ़ोन लगाया। 


मिस्टर खन्ना आपको ड्राइवर की ज़रूरत थी न ?

एक लड़का है उसे भेजती हूँ देख लीजिये।  मेहनती है, ईमानदार है। 

 राजश्री ने रितेश की और देखते हुए ही कहा। 

रितेश उनका वार्तालाप सुन शर्मिंदा हुआ जा रहा था। कल आधी समझ तो उसे आ ही चुकी थी। आज उस पर जिम्मेदारी भी आ गई थी मन ही मन वह अब तय भी कर चुका था कि वह पूरी ईमानदारी और लगन से काम कर एक अच्छा जीवन जिएगा। 


जी ठीक है।  कह फोन रख राजश्री फिर उससे बोली। 


जाओ, वैसे सौ प्रतिशत ये आपको रख लेंगे। फिर भी काम न बने तो फ़ोन करना। 


गिड़गिड़ाते हुए उसने कल के रवैये के लिए फिर  माफ़ी मांगी। राजश्री उसकी मनोस्थिति समझ रही थी। 


उसने उसे समझाया रितेश बुरा इंसान नहीं उसकी आदतें होती हैं। एक मौके का हक़दार हर कोई होता है। 

एक  बार चीजे सुधारने  की कोशिश किसी का जीवन संवार सकती है और एक मौका देने पर भी अगर वह न सुधरे तो उसे माफ़ भी नहीं किया जाना चाहिए फिर। 

युवक नज़रें झुकाये सुनता रहा। 


इतने में एक बुजुर्ग दम्पति ने ऑफिस में प्रवेश किया। 

बैठिए  राजश्री ने उनकी और देख कर कहा। 


हमारे घर के पास साहब रहते हैं उन्होंने भेजा है। 


राजेश साहब ने भेजा है न ?


हाँ मेरी बात हुई थी उनसे। 

बैठिए आप। 


तुम जाओ अगर कुछ समस्या आए  तो बताना काम मन लगाकर करना राजश्री रितेश से बोली। 

धन्यवाद कह वह  चला गया। 


राजश्री ने कुछ फॉर्म्स निकाले दराज से और उनसे कुछ जानकारियां पूछ भरने लगी।

 

मेडम हमारे  पास आपकी फीस के पैसे नहीं हैं मगर। उसे अपने काम में तल्लीन देख वे बुजुर्ग व्यक्ति बोले। 

आपसे फीस मांगी किसने है अंकलजी  और आप मुझसे बड़े हैं मैडम मत कहिये राजश्री नाम है मेरा आप मुझे नाम से बुला सकते हैं। 


वे दोनों राजश्री को देख मुस्कुरा दिए 


अच्छा आपके बेटे ने कबसे घर से निकल दिया आपको और क्यों ?

सुनकर दोनों रो पड़े 


पता नहीं साफ़ कुछ कहता नहीं रोज के झगडे होते हैं। हमारी पेंशन भी वह ले लेता है। हम अब इस सब से परेशान हो गए हैं और कल से उसने हमें  घर में रखने से भी इनकार कर दिया। 


और आपकी बहु ?


वह बहुत अच्छी है। 

 

उल्टा बहु उसे समझाती है वही बिना उसे बताए खाना भी देती है। 


आपको क्या लगता है समझाने  से समझेगा 

बेटा 1 साल हो गया  हमें और बहु को उसे समझाते हुए। 

 यहाँ तक कि घर भी हम नाम करने को मान गए थे क्योंकि एक ही बेटा है और सब उसका है।हमने भी बहुत समझाया पर वह साफ़ तौर पर कहता भी नहीं कि क्यों ऐसा कर रहा है  सिर्फ यही कहता है की आप लोगों के साथ मेरा निबाह हो नहीं सकता और अब घर से निकलने को कह रहा है।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते मन में सोच राजश्री ने उनको पानी दिया और कहा मैं सब देख लूंगी। आप चिंता न करें।


अभी कहाँ रहेंगे फिर आप ?


पता नहीं बेटा कुछ पैसे हैं निकलते समय बहु ने चुपचाप दिए थे। 

उसी में कोई कमरा देखते हैं। 


ठीक है अभी आप आइए मेरे साथ। शाम तक आपके रहने का इंतज़ाम करती हूँ मैं। 

अपने मोबाइल स्क्रीन में कुछ ढूँढ़ते हुए ये  कहकर राजश्री उठी और वे  बुजुर्ग दम्पति भी राजश्री के पीछे हो लिए। 


अंदर जाकर उसने उन्हें बिठाया और शालिनी को बुलाया। 

जी दीदी 


इनके लिए नाश्ता ले आओ प्लीज़। 


अरे नहीं बेटा  हमें कुछ नहीं खाना है हमने खा लिया महिला बोली। 


राजश्री जो नंबर फ़ोन में ढूँढ रही थी वह मिल चुका  था। 

राजश्री ने नंबर डायल किया और फ़ोन कान से लगाते  हुए बोली -


खा लीजिये। इस उम्र में भूखे रहना सेहत के लिए अच्छा नहीं है और इतना तो मैं  समझती हूँ  इतनी परेशानी में आपको कहाँ कुछ खाने की याद आई होगी। महिला झूठ पकडे जाने पर झेंप गई। 

तब तक उधर से फ़ोन उठा लिया गया था। 


हेलो कहती हुई बात करने के लिए राजश्री अपने कमरे में चली गई। 

हेलो उधर से भी  जवाब आया। 


क्या मेरी बात साहिल जी से हो रही है ?


जी मैडम साहिल बोल रहा हूँ बोलो क्या काम है आपको ?


१ कमरा चाहिए था मुझे थोड़े अच्छे इलाके में आसपास के लोग अच्छे हों शोर शराबा न हो शांति हो राजश्री ने अपने घर और कोर्ट के पास के इलाके में उसे कोई कमरा बताने को कहा। 


उसने 2 -3  इलाकों के नाम बताए जिसमे से 1 न्यायालय से 15 मिनट की दूरी पर था। 

एरिया उसका जाना पहचाना था और वैसा ही जैसा उसे चाहिए था। पास ही वकील कॉलोनी थी जहाँ सभी वकील रहते थे और राजश्री का वहाँ कईं बार जाना आना होता था। 


ठीक है अभी कमरा दिखा सकते हैं ?


जी आजायें 


आधे घंटे में पहुँच रही हूँ मैं। 

फ़ोन रख राजश्री ने फिर डायरी निकाली कुछ लिखा और बाहर निकल गई। 


शालिनी मैं निकल रही हूँ जल्दी आने की कोशिश करती हूँ फिर शाम को निकलते हैं सब तैयारी कर के रखना। 


आप लोग चलिए मेरे साथ कमरा मिल गया है, कोर्ट के पास ही है मुझे भी उधर ही कुछ काम से जाना है।  आपको वहाँ तक छोड़ दूंगी मैं। 

दोनों उठ खड़े हुए। 

राजश्री उन्हें लेकर निकल गई कुछ ही देर में वे उस इलाके में आगये थे जहाँ कमरे की बात हुई थी।  

साहिल भी उन्हें बाहर ही मिल गया था। उसने उन्हें कमरा दिखा दिया। 


यहाँ रहने में कोई समस्या तो नहीं होगी आपकोराजश्री ने दम्पति से पूछा। 


दोनों ने एक दूसरे की और देखा जैसे कुछ कहना चाह रहे हों। 


क्या हुआ अच्छी नहीं क्या जगह आंटीजी?


नहीं बेटा  पर किराया क्या रहेगा?


मैं  आऊँगी  हर 15 दिन में आपके हाथ की चाय पीने पिलाएँगे ?

 

हां बेटा कैसी बात कर रही हो जरूर पिलाएँगे अंकलजी बोले। 


बस वही किराया समझ लीजिए। 

वैसे ये खरीद लिया है मैंने किराये का नहीं है और कोई भी आपको यहाँ से कभी जाने के लिए नहीं कहेगा। 


नहीं बेटा इतने अहसान मत चढ़ाओ कैसे उतरेंगे। 


कोई अहसान नहीं है ये सब आपके अच्छे कर्मो का प्रतिफल है जो ईश्वर दे रहें हैं। मेरा कोई लेना देना नहीं है इसमें। उल्टा मेरे सिर पर आपकी चाय का कर्ज़ा चढ़ने वाला है आप तो फायदे में ही हैं चिंता न करें। 

कहकर राजश्री मुस्कुरा दी। 


2 -3 दिन में पेपर्स तैयार कर लेना ये आज से ही रहेंगे। पेपर्स इन्हे देकर चैक ले जाना मेरे ऑफिस से। ये पता है कहकर राजश्री ने अपना कार्ड साहिल को दिया। 


कोई भी परेशानी हो ये मेरा कार्ड रखिये इस पर नंबर है बेझिझक कभी भी कॉल कीजिये और ३ दिन बाद फिर से मेरे पास आइएगा।  

कहकर राजश्री ने उन्हें भी अपने कार्ड के साथ ही  कुछ पैसे दिए तो  दोनों फिर संकोच में पड़ गए।


सोचिये मत खाने और जरुरत का कुछ ही सामान आएगा बस आपका उतने ही हैं ज्यादा नहीं हैं। 


पर  बेटा............. 

संकोचवश वे इतना ही बोल सके। 


भगवान ने भेजे हैं रख लीजिए और बदले में बस आशीर्वाद दे दीजिए कि जब भी किसी को मदद की जरुरत हो मैं कर पाऊं। 

दोनों ने अश्रुपूरित नेत्रों सहित उसके सिर पर हाथ रख  खूब आशीर्वाद दिया राजश्री को। भगवान् तुम्हें सबकुछ दे बेटा। हमेशा खुश रहो। राजश्री उनके मन में बस गई थी अपनी बेटी की तरह। जाते हुए उसे देखते रहे दोनों। 


राजश्री ने काम निपटा कर राजन्शी के लिए उपहार खरीदे शाम के ५ बज चुके थे और इस समय वह बिना चाय पिए रह नहीं सकती थी। इसलिए मार्किट के बीचों बीच बने टी-ट्रीट कैफ़े में चाय पीने के लिए बैठ गई। 

राजश्री सोच विचार में गुम  डायरी पेन निकल कर बैठ  अपनी चाय का इंतज़ार ही कर रही थी कि इतने में एक व्यक्ति उसकी टेबल के पास आ खड़ा हुआ राजश्री ने नज़रें ऊपर कर उसे देखा और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए फिर डायरी में देखने लगी। 


मैं बैठ सकता हूँ यहाँ ? उस व्यक्ति ने पूछा। 

ये मेरा घर नहीं है जहाँ आपको मुझसे इजाज़त लेनी पड़े। मुझे डिस्टर्ब किए  बिना आप जहाँ बैठना चाहें बैठिये। 


कहानी जारी है......... 


(स्वरचित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2020  Google


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टिप्पणियाँ

  1. उत्तर
    1. आभार आदरणीय आपका उत्साहवर्धन ही मुख्य प्रेरणा है मेरे लिए।

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  2. दिलचस्प। आगे के भाग का इंतज़ार रहेगा।

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    1. Thanks ye kahani puri ho chuki hai sabhi part upload kr diye hain. Ap padhkr margdarshan karen🙏

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  3. बहुत सुंदर। पढ़ने के साथ ही आगे क्या होगा ये उत्सुकता बनी रहती हैं। 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक .... उत्सुकता जगा जाती है कहानी ... आगे क्या ... ?

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    1. Thanks ye kahani puri ho chuki hai sabhi part upload kr diye hain. Ap padhkr margdarshan karen🙏

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  5. आखिर तक कहानी ने बांध कर रखा। आगे क्या हुआ जानने की उत्सुकता है।

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    1. Thanks ye kahani puri ho chuki hai sabhi part upload kr diye hain. Ap padhkr margdarshan karen🙏

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  6. उत्तर
    1. Thanks ye kahani puri ho chuki hai sabhi part upload kr diye hain. Ap padhkr margdarshan karen🙏

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