शोर से दूर …
खुद में मशहूर…
दिखे जहाँ,
स्वयं में अपना नूर…
हो ऐसा नया दस्तूर…
चल वहाँ जाते हैं।

द्वेष हो न जहाँ…
साथ खो न जहाँ…
कोई हो न जहाँ…
चल वहां जाते हैं।

रहें खुदी में मस्त…
कुरीतियाँ, जहाँ हो सके ध्वस्त…
"मण-भर" खुशी से आश्वस्त…
चल वहां जाते हैं।

मन तरंगिनियाँ खुल के लहराए…
उम्मीद अपना गीत गाए…
अपना चित्र आप बनाए…
चल वहाँ जाते हैं।

©® दिव्या जोशी

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