जीवन की वैतरणी


आज उन दोनों को वहाँ के प्रमुख देवदूत ने अपने पास बुलाया था।

दोनों आए, उन्होंने देवदूत को प्रणाम किया। देवदूत ने उन्हें बैठने को कहा।

आज तुम्हारी यहाँ रहने की अवधि समाप्त।

दोनों के चेहरों की उदासी झट से मुस्कान में परिवर्तित हो गई। तो क्या हमें प्रभु के दर्शन मिलेंगे उनकी शरण में स्थान मिलेगा?

ज़रुर। लेकिन कुछ और परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर लेने के बाद।
आख़री जन्म बचा है ये तुम्हारा। प्रभु का संदेश है कि अब तुम्हें जीवन सरिता में भेज दिया जाए।

जीवन सरिता……!?

हाँ, ये आख़री परीक्षा है और इसमें खरे उतरने पर निश्चित रूप से श्री चरणों मे स्थान पा जाओगे।

अपनी आँखें बंद कर प्रभु स्मरण करो। वे स्वयं तुम्हें इस बारे में सब कुछ बताएँगे।

आँखें बंद कर ध्यान लगाने पर उन्हें सिर्फ एक तेज दीप पुंज दिखाई दिया। दर्शन नहीं मिले मगर उनकी दिव्य वाणी साफ सुनाई दे रही थी।

आज तुम्हें जहाँ भेज रहा हूँ, वह तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ जन्म और मुझसे मिलन का आख़री पड़ाव है।

जीवन सरिता,
अनंत सुख करणी,
प्रबल दुख हरणी,
ऐसी है जीवन की वैतरणी,

जीवन नदी पार कर मोती ढूँढने हैं तुम्हें और उन्हें जीवन नदी में प्रवाहित कर पुनः तैर कर इस किनारे आना।
मैं वहीं खड़ा मिलूंगा। कहकर प्रभु मुस्काए"

कुछ ज़िम्मेदारियाँ मेरी,
आज मैं तुम्हें सौंप रहा हूँ…
स्वयं वहाँ जा सकता नहीं…
अतः जनकल्याण के होम को
सफल करने हेतु तुम्हें भेज रहा हूँ।

सोतों को जगाना रोतों को हँसाना…
मेरा स्मरण कर बस आगे बढ़ते जाना…।
एक को लड़की दूसरे को लड़के का जन्म है पाना…
दोनों एक दूसरे के पूरक बन सबका साथ निभाना।

प्रभु बिन आपके वहाँ कैसे रह पाएँगे?
छत्र छाया आपकी हमसे कोसों दूर होगी…
ये दुःख आख़िर कैसे सह पाएँगे?

मैंने तो निश्चय ही है तुम्हारा पल पल साथ निभाना…
कठिन डगर पर साथ प्रबल, तुम मुझको भूल न जाना…
कोई कठिनाई आ जाए तो बस मन से आवाज़ लगाना
जैसा-जैसा में करवाऊँ बस तुम करते जाना…।

पहुँच गए फिर वे वहाँ जिसका नाम था जीवन सरिता

अहा! ये है.…!

जीवन की नदी!
प्रेम की नदी!
विश्वास की नदी!
हास परिहास की नदी…!

पर जैसा सरिता में होता है न…
सुंदर साफ़, स्वच्छ जल कांच सा…
यहाँ नहीं था, उतना साफ़ सा…

कहीं बेहद निर्मल…
कहीं मटमैला…
कुछ भाग कीचड़ में सना…
तो कुछ था सूखा अकेला।

ये देख दोनों सकुचाए…
अब आगे इसमें कैसे जाएँ …
मोती कैसे दिख पाएँगे…?
जब पानी है इतना मैला…?

बिना कुछ सोचे…
प्रभु को आवाज़ लगाई…
मदद करो अब तो हे! रघुराई…
अंदर इसमें जाएँ कैसे…?
आप तक पहुंच पाएँ कैसे…?

तभी प्रभु की दिव्य वाणी फिर सुनाई दी..

डरो नहीं बस आगे बढ़ो…
चलो जरा अपनी आंखे बंद करो…
अब पहली डुबकी लगाओ…
मुझे नमन कर भव सागर…
तरने का मंत्र पढ़ आओ।

ध्यान रहे आँखें बंद रखना…
पर मन चक्षु सदैव खुले रखना…
जितना हो सके दिल में…
सबके लिए दया रखना…।

प्रभु चरण जब छू जाओ…
फिर मात-पितु-गुरु के आगे…
शीश नवाओं…
इन सबके प्रेम आशीर्वाद को
अब अपनी ढाल बनाओ…।

अब दूसरी डुबकी लगाओ
ये कर्म पथ गामिनी होगी…
यहाँ धैर्य, संबल, हिम्मत की होगी परीक्षा
और परेशानियां तुम्हारी स्वामिनी होंगी…

जब कर्म पथ पर चलोगे…
ध्यान रहे रुकना मत
रुके तो अटक जाओगे
जीवन की वैतरणी में
भटक जाओगे…।

तीसरी डुबकी में अब…
अकेले आगे बढ़ना होगा थोड़ा मुश्किल…
चिंता न करो तुम्हारी हर परेशानी का…
ढूंढ रखा है मैंने इक हल।

जब आगे बढ़ते जाओगे तो

तुम्हें अपना-अपना जीवन साथी दिखेगा…
जो अपने साथ से समस्याओं को कम कर देगा… जिम्मेदारियों का बोझ अकेले उठाने जैसी…
सब मुश्किलों को हल कर देगा…

प्रेम विश्वास से
आगे बढ़ते जाना…
मुश्किल समय से
साथ मिलकर लड़ते जाना…।

पर ध्यान रहे अब बीच नदी में हो तुम
हिम्मत रखना और धरना धीर
डूबने का बहुत खतरा है इस वक़्त
अगर हो गए अधीर…।

अब इस खतरनाक पड़ाव के बाद…
एक बेहद सुखद मोड़ है…।
यहाँ का जल स्वच्छ निर्मल…
और कलकल का मधुर शोर है…।

यहां खूब गोते लगाना आनंद में…
पर जो मिल रहा तुम्हें उसके लिए,
कृतघ्न न हो जाना आनन्द में…
प्रभु स्मृति और अपनों की सेवा,
तज न जाना आनंद में…
मुझे भी शामिल करते जाना,
अपने इस आनन्द में…।

अंतिम पड़ाव नदी का शांत बहुत
पर अंदर से बहुत शोर करता है…
अपने हर प्रिय से बंधे धागों को
अब ये कमज़ोर करता है…
गर पिछले पड़ाव पर सम्भाला होगा
तुमने अपनो का साथ…
तो जरूर तुम्हें भी पकड़ने को मिलेगा
यहां किसी का हाथ….।

ध्यान रहे जो दी जिम्मेदारी…
जीवन भर निभाना…
भूखे को रोटी, रोते को हंसी…
नाउम्मीद को उम्मीदी की
एक चादर ओढ़ाना…।
प्रेम, विश्वास, सहायता,सहानुभूति,
संबल, हिम्मत के मंत्रों की आहूति देते जाना

इस तरह मेरे बताए होम को तुम सफल बनाना.…
अंत मे होम की राख में दबे वो मोती ढूंढ लाना…
जीवन सरिता में डाल वो मोती…
पुनः इधर तैर कर आना…
निर्मल नील सा हो जायेगा पूरा जल,
फिर आसान होगा…
पुनः इस किनारे आना.…
इस तरह भव सागर तर…
निश्चित है मेरा सानिध्य पाना…

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