काश!
' मन के मोती ' लेबल के अंतर्गत मेरे व्यक्तिगत विचार, व्यक्तिगत अनुभव, व्यक्तिगत वैचारिक दृष्टिकोण, मेरी डायरी के कुछ पन्नों और कुछ पुराने लेखों का समावेश किया गया है। ज़रूर पढ़ें अपने विचार अवश्य साझा करें। आपकी टिप्पणियों की प्रतीक्षा में.…… dj शुरुआत कर रही हूँ, उस लेख से जो मैंने अपने विद्यालय काल में काल्पनिक लेखन प्रतियोगिता के तहत लिखा था, जो आज भी मेरी डायरी का एक हिस्सा है। इस लेख में मैंने अपनी तरफ से कोई परिवर्तन नहीं किया है न ही कोई गलती सुधरी है ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रही हूँ। लेखन का कोई विशेष 'ज्ञान' न तब था न ही अब है। तब भी, बस जो मन में होता था वही इस लेखनी के माध्यम से कागज़ पर उतार देती थी और आज भी ………… इसीलिए मैं इन्हें मन के मोती कहती हूँ.…. प्रतियोगिता में शीर्षक दिया गया था - 'काश!' काश! मैं कोई पंछी होती और इस खुले आकाश में स्वतंत्रता और स्वछंदता से विचरण कर पाती। दुनिया के इस कोलाहल व प्रदूषणयुक्त वातावरण से दूर, मुक्त होकर भ्रम...