चले जा रहे हैं...........
आज पढ़ें मेरी लेखनी से लिखी जीवन पर आधारित एक और कविता चले जा रहे हैं। एक राह मिली है मगर, न मंज़िल का पता न जाने कैसी है डगर। चले जा रहे हैं .…… बस चले जा रहे हैं .…… रोज होती है नई सुबह, रोज नई शाम , नई कोई ग़लती प्रतिदिन और नया समाधान। न जाने किस पल का इन्तज़ार किये जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .…… बस चले जा रहे हैं .…… रात का पता न दिन का होश है, कितना भारी कम्बख़्त इस जीवन का बोझ है। पर इस बोझ को भी ख़ुशी से ढोये जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .…… बस चले जा रहे हैं .…… न तपती धूप का दुःख, न चाँदनी रात का सुख, न सुरों की झंकार न प्रेम की फ़ुहार। बेनाम सी एक ज़िंदगी जिए जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .…… बस चले जा रहे हैं .…… सीखों का पिटारा है , हर तरफ सलाहों का नज़ारा है। खुश रहकर जीने की नसीहतें सुनकर, ग़म के घूँट पिए जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .…… बस चले जा ...