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चले जा रहे हैं...........

आज पढ़ें  मेरी लेखनी से लिखी जीवन पर आधारित एक और कविता                          चले जा रहे हैं।  एक राह मिली है मगर, न मंज़िल  का पता न जाने कैसी है डगर।  चले जा रहे हैं .……  बस चले जा रहे हैं .…… रोज होती है नई सुबह, रोज नई शाम , नई कोई ग़लती प्रतिदिन और नया समाधान।  न जाने किस पल का इन्तज़ार किये जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .……  बस चले जा रहे हैं .…… रात का पता न दिन का होश है, कितना भारी कम्बख़्त इस जीवन का बोझ है।  पर इस बोझ को भी ख़ुशी से ढोये जा रहे हैं .……     चले जा रहे हैं .……  बस चले जा रहे हैं .…… न तपती धूप का दुःख, न चाँदनी रात का सुख, न सुरों की झंकार न प्रेम की फ़ुहार।  बेनाम सी एक ज़िंदगी जिए जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .……  बस चले जा रहे हैं .…… सीखों का पिटारा है , हर तरफ सलाहों का नज़ारा है।  खुश रहकर जीने की नसीहतें सुनकर, ग़म के घूँट पिए जा रहे हैं .…… चले जा रहे हैं .……  बस चले जा रहे हैं .…… आख़िर चलना  ही तो ज़िंदगी का नाम है, सुख-दुःख, धूप-छाँव, हँसी-उदासी कुछ भी हो बस चलते रहना....... कभी रुकना नहीं  …… कभी थकना नह

"प्यारा दर्शन"(कविता )

माता पिता का स्नेह/मोह अपने बच्चों से भी अधिक यदि किसी पर होता है तो वो हैं उनके नाती-पोते। कहते भी हैं कि मूल से ब्याज अधिक प्यारा होता है। क्योंकि जब उनके खुद के बच्चे छोटे होते हैं, तब अभिभावक कमाने की आवश्यकता और बच्चे से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों की ऊहापोह में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि उनके साथ समय व्यतीत करने के आनंद से न चाहकर भी वंचित रह जाते हैं। इस आनंद की कमी उनके जीवन में तब पूरी होती है, जब वो अपने नाती-नातिन या पोते-पोती को अपने सामने खेलते, बड़े होते ,नित नई शरारतें करते देखते हैं।बताने की आवश्यकता नहीं की उनके लिए वो पल कितने अमूल्य होते हैं।                            यही स्थिति हमारे यहाँ भी निर्मित हुई जब मेरी बहिन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।   12/06 /12    ये दिन हम सबके जीवन में एक megical moment की तरह था। specialy मेरे मम्मी पापा के लिए।  जितनी ख़ुशी इस दिन हुई उससे भी ज्यादा तब होती थी जब  'दर्शन ' (प्यार से 'एनी ' ) अपने नाना-नानी के यहाँ आता था। उस वक़्त हमारे घर का जो माहौल होता था, बस वही  इस कविता के माध्यम से बताने का प्रयास