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जून 10, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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  शोर से दूर … खुद में मशहूर… दिखे जहाँ, स्वयं में अपना नूर… हो ऐसा नया दस्तूर… चल वहाँ जाते हैं। द्वेष हो न जहाँ… साथ खो न जहाँ… कोई हो न जहाँ… चल वहां जाते हैं। रहें खुदी में मस्त… कुरीतियाँ, जहाँ हो सके ध्वस्त… "मण-भर" खुशी से आश्वस्त… चल वहां जाते हैं। मन तरंगिनियाँ खुल के लहराए… उम्मीद अपना गीत गाए… अपना चित्र आप बनाए… चल वहाँ जाते हैं। ©® दिव्या जोशी