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जुलाई 6, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरा क्या कसूर episode 8

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  मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 मेरा क्या कसूर एपिसोड 5 मेरा क्या कसूर एपिसोड 6 मेरा क्या कसूर एपिसोड 7 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा सभी को रितिका का परिवार बेहद पसंद आता है और रितिका भी! प्रेरणा, मां को प्रतीक को फोन ना लगा पाने वाली घटना के बारे में सब कुछ बता देती हैं। साड़ी की दुकान से बाहर निकलते हुए प्रेरणा को दीप्ति मिलती है, जिससे रक्षिता के बारे में पूछने पर उसे बस इतना ही पता चलता है कि आखिरी बार उसने उसे तब देखा जब वह कॉलेज में पेपर देने आई थी। रितिका के परिवार वालों को भी सर्वेश बहुत पसंद आता है। रिश्ता लगभग तय ही है। प्रेरणा चाहती है कि सर्वेश और रितिका अधिक से अधिक समय एक दूसरे के विचार जानने में बिताए इसलिए वह सर्वेश को लेकर रितिका के घर से जाती है। वहां से वापस लौटने पर मां पापा उसे बहुत चिंता में दिखाई देते हैं। अब आगे- मेरा क्या कसूर - एपिसोड 8 आज मेरा आखरी दिन है यहाँ! आज भी रसोई का लगभग सारा काम मैंने सम्भालने की कोशिश की। जी जान से मैं जुटी थी उसे अपनाने और सीखने में जिसमे मेरी लेशमात्र भी रुचि नहीं थ

मेरा क्या कसूर episode 7

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मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 मेरा क्या कसूर एपिसोड 5 मेरा क्या कसूर एपिसोड 6 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा प्रेरणा, प्रतीक से बात करने की कोशिश करती है लेकिन वह फोन रिसीव नहीं करता। बाहर उसे रक्षिता की माँ भी दिखाई देती है जिन्हें बुआ जी के डर और अपनी माँ की कड़ी हिदायत के मारे वह कुछ बोल नहीं पाती। और रसोई में माँ की मदद करने पहुँच जाती हैं। गुड्डू (सर्वेश) से मिलने वाले मेहमान आ चुके हैं। प्रेरणा, सर्वेश और रितिका को कुछ देर बात करने के लिए अकेला छोड़ देती हैं और उन्हें जीवन और रिश्तो के मूल्य समझाती है। अब आगे मेरा क्या कसूर - एपिसोड 7 उन्हें बात करने के लिए छोड़ मैं हॉल में आ गई। देखा तो बाहर की महफिल अभी भी वैसे ही जमी हुई थी। मां ने मुझे आँखों के इशारे से कहा तुम यहां बैठो मैं किचन में हूँ। मैं भी वैसे ही आंखों के इशारे में  ठीक है कहकर उन सब के साथ बाहर बैठ गई। बातों का सिलसिला चल रहा था। सब एक दूसरे को अपने बारे में बता रहे थे। पापा और अंकल एक दूसरे को ऑफिस के किस्से सुना रहे थे। तभी रितिका की मां ने मेरी ओर प्र

मेरा क्या कसूर episode 6

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मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 मेरा क्या कसूर एपिसोड 5 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा,  प्रेरणा अपने घर जा रही हैं ट्रेन में उसे रक्षिता के बारे में एक बुरा सपना दिखाई देता है। अपने घर पहुंच कर वह बहुत खुश है। घर के बाहर उसे रक्षिता की बुआजी मिलती हैं जिनका व्यवहार कुछ उसके प्रति ठीक नहीं होता। रात को सोते हुए अचानक उसे याद आता है की यहाँ आकर वह प्रतीक को यहाँ पहुँचने के बारे में बताना भूल गई।  फोन पर प्रतीक के कुछ मिस्ड कॉल और मैसेज भी होता है।अब आगे मेरा क्या कसूर - एपिसोड 6 मैंने सिर पीट लिया। कभी-कभी खुद की बुद्धि और याददाश्त पर  बड़ा गुस्सा आता है। मैं क्यों इतना गुम हो जाती हूँ कैसे भूल गई मैं? उन्होंने निकलते हुए कहा था कि पहुँचकर मुझे फोन करना। कॉल किया तो दो बार रिंग बजने के बाद उन्होंने फोन काट दिया। दोबारा कोशिश की तो नंबर स्विच ऑफ बता रहा था। लगभग 1 घंटे तक मैं कुछ मिनटों के अंतराल से फोन ट्राय करती रही। पर तब तक नंबर स्विच ऑफ ही बता रहा था। जाने यह गुस्सा फोन पर अब कब तक निकलेगा? शायद अब सुबह ही ऑन होगा, आफिस क

मेरा क्या कसूर episode 5

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  मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा- प्रेरणा की अपनी माँ और भाई से फोन पर बात होती है। भाई के रिश्ते के लिए कोई परिवार मिलने आ रहा है।  वह चाहता है कि प्रेरणा उस वक्त वही रहे। प्रतीक उसे स्टेशन तक छोड़ने आता है। प्रेरणा ने खुद से वादा किया है कि वह अपने आपको किचन एक्सपर्ट बना कर ही छोड़ेगी। और इस लक्ष्य के पूरा होने तक वह किताबों से दूर रहेगी। सफर में समय काटने के लिए उसे कोई जरिया नहीं मिलता वह ट्रैन के बाहर देख रही है। अब आगे- मेरा क्या कसूर - एपिसोड 5 रक्षिता मैं हूँ तुम घबराओ मत… मैं हूँ तुम्हारे साथ। छोड़ दो उसे कोई हाथ नही लगाएगा। पुरज़ोर विरोध की जोरदार तीखी चीख  मेरे मुख से निकली...   मेरे चीखने के बाद  किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर जोर से खींचा बस करो मैडम क्यों चिल्ला रही हो? क्या हुआ कोई परेशानी है? एक औरत मुझे जोर से हिलाते हुए बोल रही थी। मुझे समझ आया कि बाहर देखते हुए मुझे झपकी लग गई थी। और मैं सपना देख रही थी। सॉरी वह शायद कुछ डरावना सपना देखा मैंने! मैं शर्मिंदगी से भर गई। कोई बात