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दिया जलाए रखना…

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21may2021 6.00 am आंधियाँ तो आती रहेंगी, बस एक "दिया" जलाए रखना। भीतर की "संवेदनाओं" को बुझा दे, ऐसी "हवा" से इसे बचाए रखना। छोटी होने लगे कहीं "श्वास" की बाती, तू "उम्मीद" की बाती से इसे सजाए रखना। सहायता, साथ, सहानुभूति और संबल ही तेल हैं उस "दिये" के । खत्म होने लगे गर कहीं ये, तू "मानवता" रुपी तेल से हमेशा उसे जलाए रखना। ©divyajoshi