दिया जलाए रखना…

21may2021

6.00 am



आंधियाँ तो आती रहेंगी, बस एक "दिया" जलाए रखना।

भीतर की "संवेदनाओं" को बुझा दे, ऐसी "हवा" से इसे बचाए रखना।

छोटी होने लगे कहीं "श्वास" की बाती, तू "उम्मीद" की बाती से इसे सजाए रखना।

सहायता, साथ, सहानुभूति और संबल ही तेल हैं उस "दिये" के ।

खत्म होने लगे गर कहीं ये, तू "मानवता" रुपी तेल से हमेशा उसे जलाए रखना।

©divyajoshi

टिप्पणियाँ

  1. वास्तव में आपने बहुत बढ़िया कविता लिखी है, आप के द्वारा लिखित कविता बहुत अच्छी होती है आपका बहुत बहुत धन्यवाद
    क्या आप को भी स्वप्नफल में रुचि है स्वप्नफल

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद आपके उत्साहवर्धन के लिए। समय निकालकर "स्वप्नफल" देखती हूँ आपका

      हटाएं

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