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13) रूह का रिश्ता: एक अघोरी

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  पिछले भाग पढ़ने के लिए लिंक पर टच करें। रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात रूह का रिश्ता:अतीत की यादें रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के रूह का रिश्ता: भूलभुलैया रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया पिछले एपिसोड में आपने सुना तृषा को पेंटिंग बनाते हुए किसी की डरावनी हंसी की आवाज सुनाई देती है। अमर के स्केच में पीछे एक डरावना चेहरा बना दिखाई देता है।तृषा दादी को यह घटना बता देती हैं। रक्षा का रिश्ता बेंगलोर में नहीं हो पाता। किसी श्मशान में एक अघोरी किसी तांत्रिक क्रिया में व्यस्त है। अमर किसी ट्रिप पर गया है और उसका फोन बंद है। अब आगे  रूह का रिश्ता: एक अघोरी चौथे दिन सुबह-सुबह अमर वापस आता है। दादी और तृषा उसे सही सलामत देखकर बहुत खुश हो जाते हैं मगर साथ ही तीन दिन उनसे बात ना करने को लेकर उस पर नाराज भी खूब होते हैं! दोनों ही उस पर एक-एक कर सवालों की बौछार लगा देते हैं। दादी -क्य