माँ ने मुझे सँवारा है।
माँ के लिए जितना लिखो कम ही है।तो आज फिर माँ को याद कर रही हूँ। मेरे साथ इन यादों में आप भी शामिल हो जाइये। माँ ने मुझे सँवारा है, माँ का गुलिस्ताँ प्यारा है, लड़खड़ाते हर कदम पर मिला जिसका सहारा है, माँ ही मेरी वो है, जिसने हर पल, निश्छल प्रेम से मुझे दुलारा है। मै रोई तो हँसाया मुझे, निराश हुई तो प्रोत्साहन दिया, रूठी तो मनाया भी, मेरे गुस्से पर, मुझे प्यार से समझाया भी, जिसने साथ नहीं छोड़ा कभी, चली मैं कभी इस डगर तो कभी उस गली, मेरे साथ चाहे न गई हो वो हर कहीं, पर उसकी ममता हमेशा मेरे साथ ही रही, संग संग रही सदा मेरे , माँ नहीं एक मित्र जैसे, जिसने हर पल मुझे सुना, अपने जीवन का हर ताना बाना बस मेरे इर्द गिर्द बुना, उस माँ ने ही मुझे सँवारा है , माँ का गुलिस्ताँ प्यारा है, लड़खड़ाते हर कदम पर, मिला जिसका सहारा है, माँ ही मेरी वो है जिसने हर पल, निश्छल प्रेम से मुझे दुलारा है। (स्वलिखित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google इस ब्लॉग ...