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जून 1, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरा क्या कसूर episode 1

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मेरा क्या कसूर भाग -1 अलमारी साफ करते हुए एक ड्राअर से रक्षिता का दिया हुआ ब्रेसलेट नीचे गिरा। जिसे देखकर मेरे मस्तिष्क पटल पर वह घटना आज फिर से ताजा हो गई जिस पर हज़ारों बार चिंतन-मनन कर परेशान रहने के बाद, बड़ी मुश्किल से मैं भुला पाई थी। ब्रेसलेट देखते ही मुझे उसके चमकते श्वेत मोतियों में जैसे रक्षिता का चेहरा दिखाई देने लगा। उसकी आवाज़ मेरे कानों में सुनाई देने लगी। कैसे वह उस दिन फ़ोन पर चिंता से पूछ रही थी- "माँ कैसी है दीदी?" माँ की इतनी चिंता होती तो ऐसा कदम उठाती तुम? मैने फटकारा। "फौरन घर आजाओ। सब तुम्हारी बात मान गए हैं।" "ये किसने कहा आप से दीदी!? बुआजी ने!? "तुम्हें कैसे पता तुम्हारी बुआजी यहाँ आई हुई हैं!?" "मैं घर नहीं आऊँगी दीदी!" मेरी बात के जवाब में बस उसने यही कहा था। देख रक्षिता! तू हमेशा कहती है न, "दीदी! मैं आपकी बहुत रिस्पेक्ट करती हूं।" अगर थोड़ा भी मुझे अपना मानती है, और सच मे मेरा सम्मान करती है तो कल तक घर आ जाना। बाकी तेरी मर्ज़ी...। उसे आदेश देकर मैने फोन काट दिया। भाव जाल फेंक मैने उस बिचारी को