प्रिय सखी
आज की कविता मेरी परम मित्र को समर्पित। मुझे बिना बहस किये सुनती है। सब कुछ सुनती है। मेरी ख़ुशी, गम,राग द्वेष , हँसना रोना सब चुपचाप सह लेती है। और मेरे ह्रदय की संपूर्ण नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल देती है। मेरी माँ के बाद यही मेरी बेस्ट फ्रेंड है। प्रिय सखी [डायरी ] लोगों के लिए चाहे पहेली हो तुम.…… पर मेरी तो सबसे अच्छी सहेली हो तुम……। मेरे सुख-दुःख में संग रहती हो, मेरी निराशा में आशा के रंग भरती हो। मेरे मरणासन्न मन मस्तिष्क में आत्मचेतना जगाती हो, मेरे अश्क़ों को हँसी में बदल जाती हो। मेरे सूखे जीवन की तुम्हीं हरियाली हो, इस जीवंत जहां के लोगों से ज़रा निराली हो। निर्जीव होकर भी मेरे मन में सजीवता भर देती हो, मेरे जीवन की हर एक पहेली हल कर देती हो। नाउम्मीदी में इक उम्मीद सी जग जाती है, तुमसे कहकर हर तक़लीफ़ कम हो जाती है। तुम साथ हो तो किसी की याद नहीं सताती है, तुमसे सब बाँटकर जैसे मेरी आत्मशुद्धि हो जाती है। लोगों के लिए चाहे पहेली हो तुम, पर मेरी तो सबसे अच्छी सहेली हो तुम। (स्वरचित) dj कॉपीराईट © 1999 – 2020 Google इस