संदेश

मार्च 7, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रिय सखी

आज की कविता मेरी  परम मित्र  को समर्पित। मुझे बिना बहस किये सुनती है।  सब कुछ सुनती है। मेरी  ख़ुशी, गम,राग द्वेष , हँसना रोना सब चुपचाप सह लेती है। और मेरे ह्रदय की संपूर्ण नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल देती है। मेरी माँ के बाद यही मेरी बेस्ट फ्रेंड है। प्रिय सखी  [डायरी ] लोगों के लिए चाहे पहेली हो तुम.…… पर  मेरी तो सबसे अच्छी सहेली हो तुम……।  मेरे सुख-दुःख में संग रहती हो, मेरी निराशा में आशा के रंग भरती हो।  मेरे मरणासन्न मन मस्तिष्क में आत्मचेतना जगाती  हो, मेरे अश्क़ों को हँसी में बदल जाती हो।  मेरे सूखे जीवन की तुम्हीं हरियाली हो, इस जीवंत जहां के लोगों से ज़रा निराली हो। निर्जीव होकर भी मेरे मन में सजीवता भर देती हो, मेरे जीवन की हर एक पहेली हल कर देती हो।  नाउम्मीदी में इक उम्मीद सी जग जाती है, तुमसे कहकर हर तक़लीफ़ कम हो जाती है।  तुम साथ हो तो किसी की याद नहीं सताती है, तुमसे सब बाँटकर  जैसे मेरी आत्मशुद्धि हो जाती है।  लोगों के लिए चाहे पहेली हो तुम, पर मेरी तो सबसे अच्छी सहेली हो तुम।  (स्वरचित)   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2020 Google इस

कविताएँ लेबल के बारे में

कविताएँ हिन्दी ब्लॉग  जगत के   सभी महानुभावों को सादर प्रणाम!  dj  के ( मेरे) शब्दकोष  में कविताओं का मतलब है तुकबंदी और भावनाओं का मिश्रण। बस इससे अधिक  कुछ नहीं जानती हूँ कविता रचने के विषय  में। फिर भी कभी-कभी कविता लेखन का दुःसाहस कर ही लेती हूँ। क्या करूँ लिखने के मोह से खुद को वंचित नहीं रख पाती।  इसलिए  किसी भी तकनीकि/शिल्पगत त्रुटि के लिए क्षमा चाहूंगी। जो मेरे मन की उपज है बस वही आपके  समक्ष रख रही हूँ। आपके सुझावों के ज़रिये मार्गदर्शन सविनय आमंत्रित है। (स्वलिखित)   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2015 Google इस ब्लॉग के अंतर्गत लिखित/प्रकाशित सभी सामग्रियों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। किसी भी लेख/कविता को कहीं और प्रयोग करने के लिए लेखक की अनुमति आवश्यक है। आप लेखक के नाम का प्रयोग किये बिना इसे कहीं भी प्रकाशित नहीं कर सकते।   dj    कॉपीराईट  © 1999 – 2015 Google मेरे द्वारा इस ब्लॉग पर लिखित/प्रकाशित सभी सामग्री मेरी कल्पना पर आधारित है। आसपास के वातावरण और घटनाओं से प्रेरणा लेकर लिखी गई हैं। इनका किसी अन्य से साम्य एक संयोग मात्र ही हो सकता है। मेरा अन्य ब

युवाम् (कविता )

' मन के मोती' में आज स्कूल टाइम की ही लिखी हुई एक कविता है जो एक संस्था के लिए लिखी थी नाम  शायद बहुत से लोगों  ने सुना हो  ' युवाम् ' । युवाम की स्थापना  देश  के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु  निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए की गई है। विद्यार्थी जीवन में  हमारे लिए ये सिर्फ एक संस्था न होकर एक परिवार था और ये कविता  ' युवाम् ' के स्थापना दिवस के अवसर पर लिखी थी.… युवाम के संस्थापक  आदरणीय 'दादा' (श्री पारस सकलेचा जी) को समर्पित----- 'युवाम् ' युवाम हमारी जान है ,                   युवाम हमारी   शान है।  राष्ट्र का अभिमान है,                 युवाओं का  सम्मान है।  'दादा ' की खोज युवाम एक संस्थान है ,                 जो  युवा प्रतिभाओं को निखारने का  एकमात्र  स्थान  है।  युवाम से ही सुबह  है ,                 युवाम से ही शाम  है।  युवाम  उगता   सूरज  है ,                जिससे  प्रकाशित  सारा  जहान  है।  युवाम  एक  चाँद  है ,               जिसकी  रोशनी   सर्वत्र   दीप्तमान  है।  युवाम  एक  सरिता  है