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मार्च 29, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दो शब्द....., गुरु द्रोणाचार्य

गुरु द्रोणाचार्य  - वे जिनके ब्लॉग, मैंने ब्लॉग बनाते हुए visit किये और जाना कि ब्लॉग कैसे बनाया जाये,कैसे हिंदी में लिखा जाए और क्या क्या ब्लॉग पर लिखा जा सकता है। आप सभी की जानकारी में न होते हुए भी सबके ब्लॉग से कुछ न कुछ सीख लिया है।इसीलिए आप हुए द्रोणाचार्य और मैं एकलव्य और गुरुदक्षिणा के रूप में ये दो ब्लॉग बनाये हैं।   http://lekhaniblogdj.blogspot.in/ http://lekhaniblog.blogspot.in/ अब गुरुदक्षिणा आपकी रूचि की है या नहीं, ये तो आप पढ़कर ही बता पाएंगे।अपना अमूल्य समय देकर मार्गदर्शन अवश्य कीजियेगा। अब तक आपसे जो ज्ञान मिला उसके लिए आपको सधन्यवाद और आगे अब आप मुझे प्रत्यक्ष मार्गदर्शन देंगे। इस आशा में अग्रिम धन्यवाद। धन्यवाद द्रोणाचार्य प्रतिभा सक्सेना जी  http://lambikavitayen5.blogspot.in/   आपके ब्लॉग  लालित्यम  का कुछ अंश पढ़ा और अहसास हो गया कि आपकी तरह लिखने के लिए मुझे सात जन्म लेने होंगे।  न जाने कब मैं आपकी तरह भावपूर्ण और बांध कर रखने वाले साहित्य की रचना कर पाऊँगी। शायद कईं जन्म लग जाएँ। आपको पढ़ पाना मेरा सौभाग्य है।आपके लेखन में सब कुछ  होता है। विषय का ज्ञान,

दो शब्द.....आप सब को धन्यवाद

आप सब को धन्यवाद  ईश्वर - मुझे मनुष्य जन्म देने के लिए। अन्यथा न ये मस्तिष्क होता, न मन और न विचार। और ये सब न होते तो मेरी लेखनी भी न होती।  मेरे माता पिता -मुझे जन्म देकर अच्छा शिक्षण अच्छे संस्कार देने,मेरी सुसंस्कृत वातावरण में परवरिश करने, मुझे अपनी स्वतंत्र सोच बनाने और उसे बनाये रखने की प्रेरणा देने,साथ ही उसका समर्थन करने के लिए मैं आजीवन उनकी ऋणी रहूँगी।   मेरे गुरुजन - विशेषकर आदरणीया श्रीमति सुनीता काले मेम, आदरणीय श्री तिवारी सर, आदरणीया श्रीमति दिव्यलता शर्मा मेम, आदरणीया श्रीमति ब्रह्मे  मेम, आदरणीया श्रीमति  ममताअग्रवाल मेम, आदरणीया  श्रीमति   आशा श्रीवास्तव मेम,आदरणीया  श्रीमति  रीना मेम और महर्षि वेद व्यास विद्या मंदिर के सभी माननीय गुरुजन। आप सही मायने में मेरे सच्चे गुरु हैं, जिन्होंने समय-समय पर मुझे सही ज्ञान देने के साथ-साथ मेरी प्रतिभा को तराशने,मुझे प्रोत्साहित करने का भी कार्य किया है।  मेरे सभी मित्र एवं रिश्तेदार - जो ब्लॉग बनाने के पहले भी और अब भी मेरी कृतियाँ मेरे कहने पर झेलते हैं और प्रतिक्रियाएं भी देते रहते हैं। तहेदिल से आप सबका बहुत बहु

दो शब्द.....ब्लॉग जगत के महानुभावों से ,

ब्लॉग जगत के महानुभावों को मेरा सादर नमन , मैं dj (दिव्या जोशी) अपने ब्लॉग्स  के माध्यम से आपके सन्मुख कुछ रचनाएँ प्रदर्शित कर चुकी हूँ और कुछ लिखने का प्रयास जारी है। ब्लॉग जगत में कदम रखने का अनुभव मेरे लिए एकदम नया है।  पर जब से ब्लॉगिंग शुरू की है, सच मानिये स्वयं को नए जोश,उमंग और स्फूर्ति से भरा महसूस करने लगी हूँ। साहित्य का कोई विशेष ज्ञान नहीं रखती मैं, मगर कागज़ कलम से नाता बहुत पुराना है। लेखन से आत्मिक जुड़ाव है। लेखन ने  हमेशा मुझे परिपक्व, और परिपक्व बनाने का कार्य किया है। बाल्य काल (कक्षा -7) में पहली कविता लिखी थी। उसके बाद लिखे कुछ लेख और कविताएँ पुरस्कृत भी  हुए। विद्यालय में अनेकों बार संचालन लिखने व करने का सौभाग्य मिला। इस बीच कभी किसी के जन्मदिवस ,प्रमोशन इत्यादि पर लिखना जारी रहा। बाद में लेखन छूट सा गया,लेकिन पढ़ना बदस्तूर जारी रहा। परन्तु शादी के पश्चात तो लेखन-वाचन लगभग बंद सा हो गया था। पर्सनल डायरी के अलावा इतने दिनों कुछ भी रचनात्मक लिख नहीं पाई। कारणों का जिक्र यहाँ आवश्यक नहीं।