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2)रूह का रिश्ता: अतीत की यादें

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कहानी का पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 1 रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात   रूह का रिश्ता: अतीत की यादें  पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा, तृषा पर उसके घर मे जानलेवा हमला होता है और भी कई अजीबोगरीब घटनाएँ होने का ज़िक्र वह करती है। बड़ी बहन रक्षा उसे समझाती है। अमर तृषा को साथ होने का सम्बल देता है और वे दोनों भावुक हो अतीत की यादों में खो जाते हैं। अब आगे अमर के साथ वह हमेशा से बहुत सहज महसूस करती है। उसके साथ बैठे बैठे अचानक ही उसे याद आता है- तुम्हें याद है अमर हम कैसे रोज़ स्कूल बस में 1 ही सीट पर एक दूसरे के पास बैठने के लिए  बच्चों से झगड़ते थे। सोचकर दोनों के चेहरों पर मुस्कान चली आई। अरे! उठो यहां से ये सीट तो अमर की है। क्यों ! तृषा!?  क्या अमर का नाम लिखा है यहाँ? छठी क्लास की तृषा इस वक़्त अमर की जगह बैठी अपनी सीनियर अंजना से झगड़ रही थी। उसे बैठना है तो पहले से आना चाहिए न!? अंजना ने तेज़ आवाज़ में कहा। वॉल्यूम नीचे करो दीदी अपना। मैंने उसके लिए सीट रोकी है और इस पर और कोई नही बैठ सकता। क्यूँ तुमने खरीदी है या तुम्हारे घर की सीट है? उनकी बहस खत्म ही न होती अगर बस वाली दीदी