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मार्च 31, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अगर तुम न होतीं (कविता)

लिखते लिखते बस यूँ ही खयाल आया.......... अगर ये लेखनी न होती तो मेरा क्या होता..............???? आजकल सुबह भी इसी से शुरू और रात भी इसी पे ख़त्म होती है सुबह से शाम बस ये लेखनी ही मेरा पहला प्यार होती है। ये न होती तो इन दर्दों पर दवा कौन लगाता, मेरे मन का यूँ आप सब तक कौन पहुँचाता ??? ईश्वर की अनुकम्पा कहूँ इसे या आप सबका आशीष, आजकल ये मेरी मित्र सी हो गई है एकदम ख़ास और अज़ीज़। आजकल तो ये रोज शब्द रुपी नए रत्न निकलती है, कागज़ कलम लेकर बैठूँ मैं और बस खुद ही सब लिख डालती है। जो आजकल अनुभव कर रही हूँ शायद इसी को सुकून कहते हैं, न जाने कुछ लोग मनोभाव व्यक्त किये बिना कैसे रहते हैं। अब कोई दुःख दर्द ज्यादा समय टिकता नहीं , कागज़ कलम साथ हो तो आजकल आसपास कोई दिखता नहीं। कुछ लोग हैं भी यहाँ जो लेखन में अड़ंगा लगाते हैं, पर लिखती फिर भी जाती हूँ तो मेरे समक्ष ज्यादा नहीं टिक पाते हैं। कुछ को मेरा ये सुकून बिल्कुल रास नहीं आता है पर, जले तो जले दुनिया इसमें मेरा क्या जाता है??? :-))) मेरे लिए तो यूँ लिखना अब जीवन की नई राह है, आप बस मेरा मार्गदर्शन करें क्योंकि  अच्छा

मेरे दादाजी (कविता)

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मेरे दादाजी रौबीले और खुशमिजाज़ व्यक्तित्व के धनी थे। बागवानी के खूब शौकीन।ऐसा कोई पेड़ पौधा नहीं होगा जिसे उनके हाथों ने न सींचा हो।  उनके साथ बीता वक़्त बहुत ही सुन्दर रहा।  हम भाई बहनों में मुझ पर उनका विशेष प्रेम रहा। उनके रहते मुझे सुबह जल्दी उठने के लिए कभी अलार्म की जरूरत महसूस नहीं हुई।मुझे किसी भी समय उठना हो बस उन्हें बताने की देर रहती और ठीक उसी वक़्त उनकी आवाज सुबह मेरे कानों तक पहुँच ही जाया करती थी। उनका आवाज रुपी अलार्म कभी गलत नहीं हुआ। उनके साथ की यादें तो बहुत हैं, सभी शामिल न कर कर पाई मगर कुछ बातों के जिक्र के साथ, मेरे मन से निकले ये मोती आज इस कविता रूप में पिरोकर उन्हें सादर नमन के साथ समर्पित कर रही  हूँ ।  भूला बिसरा आज सब याद आ गया, वो आपके साथ पेड़ से जाम तोड़ने वाला  मुझे आज ख्वाब आ गया।  ख्वाब में आप, मैं सभी थे  पर वो जाम आम के पेड़ नहीं थे।   आप घंटों साफ़ करते थे जो मैदान, उसकी जगह बने थे अब कुछ मकान।  न केले थे न जाम न आम, न वो राखी, सुरजना, केरी के फूल  क्या हम उन्हें पानी देना गए होंगे भूल? कैसे भूलूँ मैं, प्यार से आपका बार-बार मुझे आवाज़ लगाना