संदेश

मई 21, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जीवन बगिया

चित्र
आज जीवन पर हल्के - फुल्के अंदाज़ में एक कविता प्रस्तुत है  जीवन बगिया है ये, न मिलेंगे सदैव फूल , न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे,  तुम बस जीने में रहना मशगूल।  फुल स्पीड मे चलती जीवन गाड़ी में , कईं आएँगे स्पीड ब्रेकर, स्लो होंगे तब पहिये इसके, पर रुकेंगे कभी ये है तुम्हारी भूल।  भाई! जीवन बगिया है ये, न मिलेंगे सदैव फूल,  न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे,  तुम बस जीने में रहना मशगूल।  कभी लगेगा हो नील सी ऊँचाई पर, कभी पाओगे खुद को गर्त सी गहराई में,  निराश न होना तब भी जब लगे, जैसे हो तुम पैरों की धूल।  आखिर, जीवन बगिया है ये , न मिलेंगे सदैव फूल,  न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे, तुम बस जीने में रहना मशगूल।  पतझड़ आया जो रुलाने, तो हँसाने, तुम्हें खुशी मे भिगाने , सावन भी जरूर आयेगा, बस मत होना तुम कभी मगरूर।  अरे! जीवन बगिया है ये, न मिलेंगे सदैव फूल,  न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे,  तुम बस जीने में रहना मशगूल।  कभी किसी पर प्रेम लुटेगा, आक्रोश भी उठेगा संग कभी, गरम हो जाये दिमाग तुम्हारा तो,