जीवन बगिया

आज जीवन पर हल्के - फुल्के अंदाज़ में एक कविता प्रस्तुत है जीवन बगिया है ये, न मिलेंगे सदैव फूल , न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे, तुम बस जीने में रहना मशगूल। फुल स्पीड मे चलती जीवन गाड़ी में , कईं आएँगे स्पीड ब्रेकर, स्लो होंगे तब पहिये इसके, पर रुकेंगे कभी ये है तुम्हारी भूल। भाई! जीवन बगिया है ये, न मिलेंगे सदैव फूल, न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे, तुम बस जीने में रहना मशगूल। कभी लगेगा हो नील सी ऊँचाई पर, कभी पाओगे खुद को गर्त सी गहराई में, निराश न होना तब भी जब लगे, जैसे हो तुम पैरों की धूल। आखिर, जीवन बगिया है ये , न मिलेंगे सदैव फूल, न हमेशा रहेंगे शूल, दुःख-सुख साथ चलेंगे, तुम बस जीने में रहना मशगूल। पतझड़ आया जो रुलाने, तो हँसाने, तुम्हें खुशी मे भिगाने , सावन भी जरूर आयेगा, बस मत होना तुम कभी मगरूर। अरे! जीवन बगिया है ये, न मिलेंगे सदैव फूल, न हमे...