तुझसे ये जंग मैं जारी रखूँगी


ऐ  ज़िंदगी !
तुझसे ये जंग मैं जारी रखूँगी....

धूप को छाया कहकर तूने नंगे पैर खूब दौड़ाया,
गिरकर जब उठी मैं तूने फिर से मुझे गिराया।
पहले बक्से में बंद कर जीवन का पाठ पढ़ाया, 
रुकने लगी साँसे तो तूने पिंजरे में बिठाया। 
खोल दिया फिर पिंजरा पर बेड़ियों को पहरा बनाया....
और मेरा चलना जब इन बेड़ियों से भी न रुक पाया,
काँटों की राह को फूल बताकर तूने उस पर भी खूब चलाया।
सर्द और काली रातों में तूने खूब जगाया,
और अश्कों का उपहार दे हर बार मुझे सुलाया। 
मेरा फिर भी लड़ते जाना जब तुझको रास न आया, 
दाँव पर दाँव चले फिर तूने और फिर से मुझे गिराया। 
कहती है तू और कठिन तेरी राह मैं इस बारी रखूँगी....
तो सुन ले, 
ऐ ज़िंदगी!
मैं फिर भी तुझसे ये जंग यूँही जारी रखूँगी। 

जानती हूँ तुझसे शायद कभी जीत न पाऊँगी,
मगर तेरा ये दंभ तो एक दिन तोड़ ही जाऊंगी। 
तू कहती रह चाहे कि अश्क़ और काँटों से हर बार तेरे स्वागत की तैयारी रखूँगी....
तो मैं भी रोकर, मुस्कुरा कर, आगे बढ़ जाना यूँही हर बारी रखूँगी। 
कमर कस कर खड़ी रहूँगी संघर्षों के इस मैदान में,
मन जैसे मज़बूत हथियार को धार देना मैं भी बदस्तूर जारी रखूंगी। 
ऐ ज़िंदगी !
मैं फिर भी तुझसे ये जंग यूँही जारी रखूँगी। 

हाँ, थक जाऊँगी ,टूट जाऊँगी , ऊब जाऊँगी, हार जाऊँगी,
मगर तेरा भ्रम है इस हार को यूँ ही मैं स्वीकार कर जाऊंगी।
तू धीमी कर सकती है मेरी रफ़्तार कुछ पल के लिए जरूर,
पर तेरी गलती है मुझसे ये कहना कि तुझे रोक कर दिखाऊँगी, 
चाहे थम जाए साँसे तो भी हार मान घुटने टेक न पाऊँगी,
घावों पर खुद ही मरहम लगा मैं फिर आगे बढ़ जाउँगी। 
तू कहती रह और कठिन परीक्षाएँ तेरे लिए जारी रखूँगी....
वादा है मेरा मैं भी हर परीक्षा की पूरी तैयारी रखूँगी। 
ऐ ज़िंदगी !
मैं फिर भी तुझसे ये जंग यूँही जारी रखूँगी।
 
.... कि तुझसे ये शिकवे ये लड़ाई जन्मों की है शायद  
इसलिए मुझे सताने की रहती है तेरी कवायद 
तो जन्मों तक अब मैं भी इसे जारी रखूँगी....

ऐ ज़िंदगी !
मैं फिर भी तुझसे ये जंग यूँही जारी रखूँगी 

(स्वरचित) dj  कॉपीराईट © 1999 – 2020  Google


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टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर
    हाँ, थक जाऊँगी ,टूट जाऊँगी , ऊब जाऊँगी, हार जाऊँगी,
    मगर तेरा भ्रम है इस हार को यूँ ही मैं स्वीकार कर जाऊंगी।
    तू धीमी कर सकती है मेरी रफ़्तार कुछ पल के लिए जरूर,
    पर तेरी गलती है मुझसे ये कहना कि तुझे रोक कर दिखाऊँगी,
    चाहे थम जाए साँसे तो भी हार मान घुटने टेक न पाऊँगी,
    घावों पर खुद ही मरहम लगा मैं फिर आगे बढ़ जाउँगी।

    जवाब देंहटाएं
  2. जिंदगी एक जंग है पर वही सिखाती भी है कि थकना नहीं, टूटना नहीं, हारना नहीं और ना हीं ऊबना है

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  3. जी आदरणीय सहमत हूँ। हार्दिक आभार पढ़ने व प्रतिक्रिया व्यक्त करने हेतु

    जवाब देंहटाएं

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