जीवन की जंग: असली ख़ुशी
हिम्मत तो ऐसी है हमारी कि
हमारा जीवन संघर्ष देखने वाले,
ख़ुद थक कर रो दिए।
पर हम न रुके।
थके हम भी,
मगर फ़िर आगे बढ़ गए।
रोए तो ख़ूब,
मगर ये न हुआ कि
आँसुओ की चादर ओढ़
चैन से सो गए।
मज़ा तो तब आया
जब काँटो के निकलने पर बहे,
रक्त को,
हर बार,
महावर का रंग समझ,
हम धो गए।
और हमें गिराकर हर बार हँसने वाले,
जीवन भर यूँ ही हाथ मलते रह गए।
©®divyajoshi
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