हम-तुम
जो भूल गए वो आज याद कर लो,
कभी तो तन्हाई में हमसे भी बात कर लो।जब होती थीं बातें हमसे और बस हमसे,
गुज़रे उन दिनों को इक बार याद कर लो।
इश्क़ था बेपनाह तब भी और आज भी है आपसे,
कभी तो फ़ुर्सत से हमसे भी एक मुलाक़ात कर लो।
क्यूँ उलझ गए हो सब में यूँ, इतना,
कभी सिर्फ़ मेरे साथ मिलकर फ़िर से उन ख़ुशियों को आबाद कर लो।
मैं ढूँढती हूँ, उस शख़्स को रोज़ ही आप में,
खिल जाता था मेरी इक मुस्कान से जो कभी,
हिल जाता था मेरे चंद आँसुओं से जो कभी,
सौंपकर मुझे उस शख़्स को फिर से मुझे खुश करने का कुसूर आज आप कर लो।
मैं कर दूँगी आपकी हर उदासी को दफ़्न,
चेहरे पर उसी मुस्कुराहट का बस एक बार आगाज़ तो कर लो।
कर दूँगी मैं आपका हर ख्वाब पूरा,
मिलकर मग़र अपने ख़्वाबों की फ़ेहरिस्त तो साझा आज कर लो।
हज़ार अंधेरों से गुज़रकर आप तक पहहुँचती हूँ, मैं ही हर बार,
आज तो वो रास्ते रोशन करने का गुनाह आप कर लो।
टूट कर बिखरती रही हूँ जिस राह में, मैं रोज़ ही,
कभी आप भी उस राह-ए-मुहब्बतके सफ़र पर साथ चलने की फ़रियाद तो कर लो।
झूठा ही सही जताओ मगर,
दे सकोगे फिर से वो प्यार, ये वादा आप कर लो।
हम ही चाहें, हम ही सराहें, और मुहब्बत भी करें हम ही,
इज़हार-ए-मुहब्बत अब आप भी करने का इरादा आज तो कर लो।
©®divyajoshi
प्रेम में कच्चे, उर्दू में कच्चे
और ग़ज़ल में तो जैसे नवजात बच्चे
फिर भी हिम्मत करके लिख दिए
बस फ़साने कुछ सच्चे
मैं लेखन की किसी विधा की जानकार नहीं हूँ बस भावों को कागज़ पर उतार देती हूँ।
ग़लतियों के लिए क्षमाप्रार्थी🙏🙏🙏🙏 त्रुटियों से अवगत जरूर कराएं। जीवन के अंतिम क्षण तक सुधार और सीखने की अभिलाषी🙏
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें