वो बरसाती रात
वो एक काली, तूफ़ानी रात थी।
घनघोर घटाएं और तेज़ बरसात थी।
बस/टैक्सी के इंतज़ार में अकेली खड़ी मैं,
मेरा नाम ROSE,
औऱ रोज़ (प्रतिदिन) की तरह कईं आशंकाएँ मन में साथ थीं।
अचानक एक तूफ़ान आया जो इस तूफान से
कईं गुना ज़्यादा ख़तरनाक था,
मैं उसकी ही संपत्ति हूँ, इस पर उसका अटल विश्वास था।
एक झटके में आकर चला गया वो,
मेरे अस्तित्व को पल में मिटा गया वो,
तबसे ROSE के अंदर का सब कुछ ख़त्म हो गया।
घर तो पहुँचा ही दिया गया जैसे-तैसे मुझे,
पर इस ROSE का तन और मन
आज भी वहीं पड़ा,
उसी काली, अंधेरी, बरसाती रात में भीग रहा है।
मन तो आज भी गीला है अंदर से,
क्या कोई धूप जो इसे सुखा सके आपकी नज़र में है!!!!!?
हो तो ज़रूर बताना🙏.
©®divyajoshi
प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति
Rose- लड़की
तूफान- विकृत मानसिकता का कोई पुरुष जो उसकी अस्मिता से खेल गया।
Bhot hi badiya di keep it up aap yese hi likhte raho bhot aage bado dil se Kamana h bhot hi parshnsniy he 😊
जवाब देंहटाएं🙏🙏😊
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंBahut hi acha laga dil ko chu gaya sacchi
जवाब देंहटाएं🙏🙏😊
हटाएंशब्दहीन हूँ,
जवाब देंहटाएंपर स्तब्ध हुँ इस रचना की गहराई से,
अक्षरों की पंखुड़ियों से बुनी इस कढ़ाई से।
Yash Yogi
आपकी संवेदना से परिपूर्ण सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार यश जी🙏
हटाएंThank u mosiji
हटाएंgajab.. really heart touching... bahut hi sundar likha he...
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