जीवन के रंग मौसम के संग




1) जीवन का summer season 

 
गर्मियों की चिलचिलाती धूप सा है जीवन!? 

तो क्या...!?? 

अपनों के "प्रेम" रूपी रेत में ठंडक खोज लेना।  
 
हाँsss...!

आँसू छिपाने वाले उस काले चश्में की ज़रूरत बहुत पड़ेगी यहाँ... 

हो सके तो ज़िन्दगी के बाज़ार जाकर उसे भी खरीद लेना! ©®divyajoshi

2) 2) पतझड़ ( बदले रंग)





मेरे मन की शाख़ से अलग होते ही रंग बदल गया तुम्हारा...!?

हम साथ थे तो पतझड़ रास आता न था तुम्हें...

और अब...!?

पतझड़ में सूख़ कर गिरे पत्ते-से रंग में ही तो

समाया है न अक़्स तुम्हारा...!
©®divyajoshi

3)सर्दी  (वफ़ाएँ)

सर्द सफ़ेद वादियों में पकड़ा है न ये हाथ,


तो रिश्ता भी सफ़ेद ही रखना ।


3)सावन ( वो बारिशें)

पिछली  बार की बारिश में,
कुछ बूंदें आंखों में आई तो दिल मे ही उतर गईं।

तबसे वे बूंदे बर्फ़ सी जमी हैं,
दिल पर ही।

और तबसे बारिशों का मौसम भी वहीं थम गया, वापस गया नहीं।

बहुत कोशिश की पर वो मौसम जो इस बर्फ़ को पिघला सके,
फ़िर कभी लौट कर आया ही नहीं।
©®divyajoshi



5)बारिश और ख़्वाहिशें

बारिशें तो तन मन तरबतर कर ही देती हैं,
बारिशों में तो मयूर नाच ही उठते हैं।

मज़ा तो तब है,
जब तुम कुछ ऐसा कह दो कि...

बिन बारिश ही मन भीग जाए...
और मन मयूर ख़ुशी से नाच उठे...

©®divyajoshi






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