जीवन सारथि भाग 5





कहानी जीवनसारथि का यह पांचवा भाग है। यदि अपने पिछले भाग नहीं पढ़े तो नीचे क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

जीवन सारथि भाग 4

जीवन सारथि भाग 3

जीवन सारथि भाग 2

जीवन सारथि भाग 1

शालिनी घबराकर राजश्री को हॉस्पिटल लेकर जाती है, जहाँ रिसेप्शन पर फॉर्म भरने के बाद  डॉक्टर्स उसे एडमिट कर चेकअप शुरू करते हैं।

थोड़ी देर बाद एक डॉक्टर शालिनी से-  "पेशेंट को किसी टाइप की कोई समस्या पहले से है?"

शालिनी - "नहीं सर। उन्हें सिर्फ सिरदर्द ज़्यादा होता है।"

डॉक्टर- "क्या सिरदर्द के बाद vomiting या मितली आने जैसी कोई प्रॉब्लम?"  

शालिनी- "जी कईं बार ऐसा होता है और सिरदर्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा कोई प्रॉब्लम नही। कभी कभी बीपी हाई होता है।"

डॉक्टर- "ओके। वैसे आपने अच्छा किया कि जल्दी इन्हें हॉस्पिटल ले आईं।" "गुड।"

डॉक्टर उसे असमंजस में छोड़, बाहर वेट करने के लिए कहकर चले जाते हैं। 

आज शालिनी को गाड़ी चलाना सीखने की अहमियत समझ आ रही होती है। वह मन ही मन सोच रही होती है कि अगर राजश्री ने उसे गाड़ी चलाना नहीं सिखाया होता तो शायद उसे अस्पताल आने में देर हो सकती थी। डॉक्टर फिलहाल राजश्री के बारे में उसे कुछ नहीं बताते हैं। साथ में ऋषभ भी है जिसे वह वेटिंग एरिया में एक साइड बिठाकर आई है। शालिनी को समझ नहीं आता है कि वह क्या करे? किसी और को कॉल करे या अकेले ही है सब संभाले? यह हॉस्पिटल राजश्री के घर से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर है, और ऋषभ भी उसके साथ है, लिहाज़ा वह किसी की हेल्प ले ऋषभ को पहले घर पहुँचाने का सोचती है। उतने में डॉक्टर शालिनी से कहते हैं कि राजश्री को सिटी के किसी मल्टी स्पेशियालिटी हॉस्पिटल लेकर जाए। राजश्री का सी टी स्कैन/एम आर आई  और कुछ स्पेसिफिक ब्लड टेस्ट करने होंगे जिसकी सुविधा यहां नही है। अपना अड्रेस बताने पर डॉक्टर उन्हें घर के पास के ही ऐसे एक हॉस्पिटल की जानकारी देते हैं। राजश्री अब भी बेहोश है। उसे एंबुलेंस के द्वारा भेजने की व्यवस्था की जाती है।  शालिनी, ऋषभ को अपने साथ गाड़ी में बिठा एम्बुलेंस के साथ निकलती है। शालिनी हॉस्पिटल पहुँच चुकी है। यहाँ से घर पास ही होने से वह माली काका को बुलवा कर कुछ खाने पीने का सामान खरीद, उनके साथ ऋषभ को घर भेज देती है। रेफर केस होने के कारण डॉक्टर्स तुरंत राजश्री को एडमिट कर लेते हैं। और उसे m.r.i. सहित कुछ अन्य टेस्ट और ब्लड टेस्ट लिखते हैं। यहाँ भी डॉ शालिनी से पूछते हैं कि राजश्री को किसी तरह की कोई स्वस्थ्य समस्या है? तब शालिनी किसी भी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम होने से मना करती है इस बीच शालिनी और ज्यादा चिंतित  हो जाती है कि दोनों जगह दोनों डॉक्टर्स उससे एक जैसी बात क्यों की? उसे लगता है कि उसे वीणा को सब बताना चाहिए। वह वीणा को फोन करती है।

वीणा, फ़ोन उठाते ही- "बोलो शालिनी पहुंच गए घर? मैं कॉल करने ही वाली थी बस।"


नहीं.... वीणा! राजश्री दीदी को हॉस्पिटल में एडमिट किया है!


क्यों! क्या हुआ उन्हें!? 


पता नहीं रास्ते में वे अचानक बेहोश हो गईं, उन्हें पास के हॉस्पिटल ले गई तो वहां से डॉक्टर ने घर के पास वाले बड़े हॉस्पिटल में रेफर किया है। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा क्या करूँ। शालिनी के स्वर में बेहद चिंता थी।


वीना- "तुम परेशान मत हो शालिनी, थकान के कारण शायद ऐसा हुआ हो। उन्हें सिरदर्द भी कल से बहुत ज्यादा बढ़ गया था। सुनती भी नहीं हैं किसी की। कितना स्ट्रेस लेती हैं।इतना काम करने की क्या जरूरत है?"

शालिनी- "नहीं, वीणा! अभी रहने दो डॉक्टर क्या कहते हैं मैं तुम्हें यहाँ से बता दूँगी। और जरूरत हुई तो बुला भी लूँगी। राजन्शी भी छोटी है। तुम वहाँ का काम खराब मत करो।

वीणा- "दीदी से ज्यादा जरूरी और कोई भी नहीं है हमारे लिए तुमने ही कहा था न कभी!" शालिनी चुप हो जाती है। वीना उसे ढांढस बंधाती है और फोन रखने का कहती है। 

राजश्री  के बारे में सुनकर वीणा  बहुत ज्यादा घबरा जाती है, उसी समय वह राजन्शी और रानी को साथ लेकर निकल पड़ती है।

राजश्री अभी होश में नहीं है लगभग 2 घंटे इंतज़ार करने के बाद शालिनी के पूछने पर डॉक्टर कहते हैं -अभी होश नहीं आया। हमने कुछ इंजेक्शन दिए हैं, कुछ दो-तीन घंटे में होश आ सकता है। शालिनी- मगर उन्हें हुआ क्या है डॉक्टर। अभी कुछ देर पहले बिल्कुल अच्छी थी। 

डॉक्टर कुछ भी बताने में असमर्थ है।

"एक बार patient होश में आ जाए और उनकी रिपोर्ट्स आ जाए उसके बाद ही इस बारे में कुछ सटीक बता पाएंगे।" अगर इन्हें 2-3 घण्टे में भी होश नहीं आता तो शायद ICU मे शिफ्ट करना पड़े। कहकर डॉक्टर चले जाते हैं।


रात होने को थी कुछ देर बाद वीणा, रानी और राजन्शी को लेकर वहाँ पहुंच जाते हैं। शालिनी और वीणा राजन्शी को ऋषभ के साथ खेलने का कह कर रानी के साथ घर भेज देते हैं। रानी जाना नहीं चाहती मगर बच्चों के बारे में सोचकर चली जाती है। 

वीणा- शालिनी को रुआंसा देखकर - "चिंता मत करो दीदी जल्दी ठीक हो जाएंगी" कहते हुए वीणा की आंखों में भी आँसू आ जाते हैं। 


शालिनी वीणा को बताती है कुछ देर में अगर होश नहीं आता तो उन्हें आइसीयू में शिफ्ट करना होगा। साथ ही डॉक्टर ने ये भी कई बार पूछा कि इन्हें किसी तरह की हेल्थ प्रॉब्लम तो नहीं है? उसे बताते हुए अचानक ही शालिनी के दिमाग में आता है कि राजश्री कुछ समय से सिरदर्द होने पर दवाईयाँ खा रही है। वह जल्दी से उसका पर्स चेक करती है, उसे वे दवाईयाँ मिल जाती हैं। वह तुरंत डॉक्टर को दवाईयों के बारे में बताती है और कहती है कि शायद वे ये दवाइयां खा रही थीं। लेकिन  कंफर्म नहीं है कि ये सभी या इनमे से कुछ एक.......डॉक्टर दवाईयाँ चेक कर आश्चर्य से पूछते हैं- "इन्हें आपके सामने कभी कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई?" "कैसे पॉसिबल है.?" कहकर डॉक्टर चले जाते हैं। दोनों आश्चर्य से एक दूसरे को देखती रह जाती हैं।

कहानी जारी है...

अगला भाग पढ़ने के लिए क्लिक करें जीवन सारथि भाग 6

टिप्पणियाँ

सर्वाधिक लोकप्रिय

मेरे दादाजी (कविता)

धरती की पुकार

काश!