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"छोटू"

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वो रेत, और  सूखे पत्ते  रेत पर बनते बिगड़ते ,  कदमो के निशान , गवाह हैं  गुजरते हैं रोज़  वहां से कुछ  "इंसान"  सभी साफ़ स्वच्छ वस्त्रों में लिपटे  मलिन नहीं।  "मलिन" तो बस "वो"एक ही घूमता है, हर रोज उन्ही वस्त्रों में  वो "छोटू"…। बेचता है वहाँ, कुछ फूल कुछ गुब्बारे, राहगीर दिखते हैं जहाँ।  झट से दौड़ पड़ता है उनकी तरफ, आते हैं कईं बार दिलदार,  ले जाते हैं उस से, कुछ फूल कुछ गुब्बारे।  और दे जाते हैं उसे,  चन्द रुपए,  मिल जाता है उसे, एक वक़्त का खाना।   पूरा नहीं, आधा अधूरा ही सही।  बस यही जीवन है उसका, यही दिनचर्या।  सोचती हूँ कईं बार.……  ले आऊँ छोटू को , अपने साथ,  अपने घर.…  दूँ उसे पेट भर खाना, चाहती हूँ, न ढोये वो "मन"पर  उन "भारी" गुब्बारों और फूलों का बोझ  उसके नन्हे कंधे ढोये तो बस,  कुछ किताबों का बोझ।  मगर.………………… पूरी हो मेरी ये सोच  उसके पहले, दिखता है मुझे एक और  "छोटू"  ये क्या..............???????? एक और ?????? फिर एक और.…………  हर जगह "छोटू" ……? जह

मेरा क्या कसूर episode 8

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  मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 मेरा क्या कसूर एपिसोड 5 मेरा क्या कसूर एपिसोड 6 मेरा क्या कसूर एपिसोड 7 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा सभी को रितिका का परिवार बेहद पसंद आता है और रितिका भी! प्रेरणा, मां को प्रतीक को फोन ना लगा पाने वाली घटना के बारे में सब कुछ बता देती हैं। साड़ी की दुकान से बाहर निकलते हुए प्रेरणा को दीप्ति मिलती है, जिससे रक्षिता के बारे में पूछने पर उसे बस इतना ही पता चलता है कि आखिरी बार उसने उसे तब देखा जब वह कॉलेज में पेपर देने आई थी। रितिका के परिवार वालों को भी सर्वेश बहुत पसंद आता है। रिश्ता लगभग तय ही है। प्रेरणा चाहती है कि सर्वेश और रितिका अधिक से अधिक समय एक दूसरे के विचार जानने में बिताए इसलिए वह सर्वेश को लेकर रितिका के घर से जाती है। वहां से वापस लौटने पर मां पापा उसे बहुत चिंता में दिखाई देते हैं। अब आगे- मेरा क्या कसूर - एपिसोड 8 आज मेरा आखरी दिन है यहाँ! आज भी रसोई का लगभग सारा काम मैंने सम्भालने की कोशिश की। जी जान से मैं जुटी थी उसे अपनाने और सीखने में जिसमे मेरी लेशमात्र भी रुचि नहीं थ

मेरा क्या कसूर episode 7

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मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 मेरा क्या कसूर एपिसोड 5 मेरा क्या कसूर एपिसोड 6 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा प्रेरणा, प्रतीक से बात करने की कोशिश करती है लेकिन वह फोन रिसीव नहीं करता। बाहर उसे रक्षिता की माँ भी दिखाई देती है जिन्हें बुआ जी के डर और अपनी माँ की कड़ी हिदायत के मारे वह कुछ बोल नहीं पाती। और रसोई में माँ की मदद करने पहुँच जाती हैं। गुड्डू (सर्वेश) से मिलने वाले मेहमान आ चुके हैं। प्रेरणा, सर्वेश और रितिका को कुछ देर बात करने के लिए अकेला छोड़ देती हैं और उन्हें जीवन और रिश्तो के मूल्य समझाती है। अब आगे मेरा क्या कसूर - एपिसोड 7 उन्हें बात करने के लिए छोड़ मैं हॉल में आ गई। देखा तो बाहर की महफिल अभी भी वैसे ही जमी हुई थी। मां ने मुझे आँखों के इशारे से कहा तुम यहां बैठो मैं किचन में हूँ। मैं भी वैसे ही आंखों के इशारे में  ठीक है कहकर उन सब के साथ बाहर बैठ गई। बातों का सिलसिला चल रहा था। सब एक दूसरे को अपने बारे में बता रहे थे। पापा और अंकल एक दूसरे को ऑफिस के किस्से सुना रहे थे। तभी रितिका की मां ने मेरी ओर प्र

मेरा क्या कसूर episode 6

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मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 मेरा क्या कसूर एपिसोड 5 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा,  प्रेरणा अपने घर जा रही हैं ट्रेन में उसे रक्षिता के बारे में एक बुरा सपना दिखाई देता है। अपने घर पहुंच कर वह बहुत खुश है। घर के बाहर उसे रक्षिता की बुआजी मिलती हैं जिनका व्यवहार कुछ उसके प्रति ठीक नहीं होता। रात को सोते हुए अचानक उसे याद आता है की यहाँ आकर वह प्रतीक को यहाँ पहुँचने के बारे में बताना भूल गई।  फोन पर प्रतीक के कुछ मिस्ड कॉल और मैसेज भी होता है।अब आगे मेरा क्या कसूर - एपिसोड 6 मैंने सिर पीट लिया। कभी-कभी खुद की बुद्धि और याददाश्त पर  बड़ा गुस्सा आता है। मैं क्यों इतना गुम हो जाती हूँ कैसे भूल गई मैं? उन्होंने निकलते हुए कहा था कि पहुँचकर मुझे फोन करना। कॉल किया तो दो बार रिंग बजने के बाद उन्होंने फोन काट दिया। दोबारा कोशिश की तो नंबर स्विच ऑफ बता रहा था। लगभग 1 घंटे तक मैं कुछ मिनटों के अंतराल से फोन ट्राय करती रही। पर तब तक नंबर स्विच ऑफ ही बता रहा था। जाने यह गुस्सा फोन पर अब कब तक निकलेगा? शायद अब सुबह ही ऑन होगा, आफिस क

मेरा क्या कसूर episode 5

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  मेरा क्या कसूर एपिसोड 1 मेरा क्या कसूर एपिसोड 2 मेरा क्या कसूर एपिसोड 3 मेरा क्या कसूर एपिसोड 4 पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा- प्रेरणा की अपनी माँ और भाई से फोन पर बात होती है। भाई के रिश्ते के लिए कोई परिवार मिलने आ रहा है।  वह चाहता है कि प्रेरणा उस वक्त वही रहे। प्रतीक उसे स्टेशन तक छोड़ने आता है। प्रेरणा ने खुद से वादा किया है कि वह अपने आपको किचन एक्सपर्ट बना कर ही छोड़ेगी। और इस लक्ष्य के पूरा होने तक वह किताबों से दूर रहेगी। सफर में समय काटने के लिए उसे कोई जरिया नहीं मिलता वह ट्रैन के बाहर देख रही है। अब आगे- मेरा क्या कसूर - एपिसोड 5 रक्षिता मैं हूँ तुम घबराओ मत… मैं हूँ तुम्हारे साथ। छोड़ दो उसे कोई हाथ नही लगाएगा। पुरज़ोर विरोध की जोरदार तीखी चीख  मेरे मुख से निकली...   मेरे चीखने के बाद  किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर जोर से खींचा बस करो मैडम क्यों चिल्ला रही हो? क्या हुआ कोई परेशानी है? एक औरत मुझे जोर से हिलाते हुए बोल रही थी। मुझे समझ आया कि बाहर देखते हुए मुझे झपकी लग गई थी। और मैं सपना देख रही थी। सॉरी वह शायद कुछ डरावना सपना देखा मैंने! मैं शर्मिंदगी से भर गई। कोई बात

21रूह का रिश्ता: स्वयं को दोहराता इतिहास

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 पिछले भाग पढ़ने के लिए लिंक पर टच करें। रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात रूह का रिश्ता:अतीत की यादें रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के रूह का रिश्ता: भूलभुलैया रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया रूह का रिश्ता: एक अघोरी रूह का रिश्ता: बिगड़ते रिश्ते पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा दादी,अमर और निशा बेंगलुरु से गुना पहुंचते हैं। निशा का अमर की ओर खिंचाव बढ़ता जा रहा है। गुना में जहां रक्षा और तृषा ने अमर के जन्मदिन की बहुत ही धूमधाम से तैयारियां की होती हैं। तृषा ने उसके लिए कई सरप्राइजेज रखे होते हैं। पूरा घर उसकी पसंद के हिसाब से सजाया होता है। वह उसके लिए पूरा खाना उसकी पसंद का बनाती है और उसके स्कूल कॉलेज के सभी दोस्तों को आमंत्रित करती है। अमर की जन्मदिन की पार्टी में दादी अमर और तृषा की सगाई का अनाउंसमेंट करती है। जिससे निशा बेहद परेशान हो जाती है। वह अमर से प्यार करती है और तृषा

20 नए रिश्तों का आगाज़

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 पिछले भाग पढ़ने के लिए लिंक पर टच करें। रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात रूह का रिश्ता:अतीत की यादें रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के रूह का रिश्ता: भूलभुलैया रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया रूह का रिश्ता: एक अघोरी रूह का रिश्ता: बिगड़ते रिश्ते रूह का रिश्ता: नए रिश्तों का आगाज़ पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा अमर और निशा को रास्ते में कोई तांत्रिक मिलता है। उनसे लाशों की मांग कर रहा होता है।दादी को फिर से अजीबोगरीब सपने आते हैं निशा अमर की ओर आकर्षित हो रही है जिसे दादी देख लेती हैं और एक फैसला करती हैं। अमर निशा और दादी गुना पहुंचते हैं तृषा ने अमर के लिए एक सरप्राइज पार्टी प्लान की है।  अमर निशा से कहता है कि उसे प्यार हो गया है। अब आगे अमर की बातें सुन तृषा के अंदर एक अजीब सी बेचैनी छा जाती है। उसके चेहरे से मुस्कुराहट हट नही रही होती।अमर के शब्द जस के तस उसके दिल पर दस्तक दे

19 एक खुशनुमा शाम

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 पिछले भाग पढ़ने के लिए लिंक पर टच करें। रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात रूह का रिश्ता:अतीत की यादें रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के रूह का रिश्ता: भूलभुलैया रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया रूह का रिश्ता: एक अघोरी रूह का रिश्ता: बिगड़ते रिश्ते पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा दादी को रात में अजीब सी घटनाएं होती दिखाई देती हैं वे वापस गुना जाना चाहती हैं।लेकिन असमंजस में होती है कि  निशा और अमर को अकेला छोड़ कर जाए या नहीं? रक्षा की शादी फिर से टूट जाती है। दादी, तृषा को उसका ख्याल रखने को कहती हैं। ऑफिस से वापस आते हुए एक शाम वे कॉफी पीने जाते हैं निशा उसे किसी अलग रास्ते से घर लेकर आ रही होती है। रास्ते में उनके साथ अजीबोगरीब घटनाएं होती है। आखरी में एक तांत्रिक वेशभूषाधारी शख्स उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है।   गाड़ी के बोनेट पर हाथ ठोक जोर से चिल्लाता है। अब आगे "मुझे नही

17 किस्मत का खेल

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 पिछले भाग पढ़ने के लिए लिंक पर टच करें। रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात रूह का रिश्ता:अतीत की यादें रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के रूह का रिश्ता: भूलभुलैया रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया रूह का रिश्ता: एक अघोरी रूह का रिश्ता: बिगड़ते रिश्ते पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा तृषा घबराकर सबको किचन में हुई घटना के बारे में बताती है। दादी के अलावा कोई उस पर भरोसा नहीं करता अमर सबको बताता है उसे ग्रेजुएशन के बाद परमानेंट जॉब का ऑफर मिला है। इसी खुशी में वह सबको ट्रीट देता है रक्षा तृषा जाने के लिए ना कह  देती है। तृषा के कहने पर निशा और अमर ट्रीट के लिए चले जाते हैं जहां एक साधु उन्हें घूरते हुए कहता है टोने अगर गलत हो जाए न तो पलटवार भी होता है बच्चे! उल्टी न पड़ जाए चाल!! देख ले रख लेना ख्याल!! अचानक ऐसी आवाज़ आने पर वे दोनों हैरत से पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें काले कपड़ों में क