19 एक खुशनुमा शाम

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रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात

रूह का रिश्ता:अतीत की यादें

रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत

रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ

रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के

रूह का रिश्ता: भूलभुलैया

रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर

रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत

रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली

रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ

रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ

रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया

रूह का रिश्ता: एक अघोरी

रूह का रिश्ता: बिगड़ते रिश्ते

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा दादी को रात में अजीब सी घटनाएं होती दिखाई देती हैं वे वापस गुना जाना चाहती हैं।लेकिन असमंजस में होती है कि  निशा और अमर को अकेला छोड़ कर जाए या नहीं? रक्षा की शादी फिर से टूट जाती है। दादी, तृषा को उसका ख्याल रखने को कहती हैं। ऑफिस से वापस आते हुए एक शाम वे कॉफी पीने जाते हैं निशा उसे किसी अलग रास्ते से घर लेकर आ रही होती है। रास्ते में उनके साथ अजीबोगरीब घटनाएं होती है। आखरी में एक तांत्रिक वेशभूषाधारी शख्स उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है।   गाड़ी के बोनेट पर हाथ ठोक जोर से चिल्लाता है। अब आगे

"मुझे नही मिली लाशें। वादा क्यूँ किया था मुझसे पाँच लाशों का।"
"अगर मेरी मांगी चीज़ मुझे नहीं मिली न... और मेरी साधना अधूरी रह गई तो उसका परिणाम तुम्हे भुगतान होगा। मैने पहले ही बताया था।"

"अरे!!! हटो सामने से मैं गाड़ी चला दूंगा वरना ऊपर। अमर के चिल्लाने पर वह एक तरफ हो गया।"

मगर अमर के गाड़ी आगे बढ़ा लेने के बाद उसकी आवाज़ कानों में दूर तक पड़ रही थी। 
"मेरी क्रिया अधूरी रही तो तुम सबकी खैर नहीं..."
अमर और निशा घर पहुंच जाते हैं। पर उनके दिमाग में उथल-पुथल मची होती है।

दादी उन्हें पूछती है "क्या हुआ दोनों बहुत परेशान लग रहे हो?"
कुछ नहीं दादी बस गाड़ी खराब हो गई थी। अमर इतना ही कहता है।

अच्छा मुझे न तुम दोनों से कुछ कहना था तुम लोग तीन चार दिन की छुट्टी ले सकते हो क्या?
क्यों दादी? निशा अचानक चौंक जाती है।
वो हमें गुना जाना है। 

दादी छुट्टी नई जॉब में मिलना मुश्किल है हम दोनों को ही। निशा ने आगे कहा और अमर की और देखने लगी।
क्या हुआ दादी सब ठीक है? अमर पूछता है।
नही रक्षा के रिश्ते के लिए उन्होंने मन कर दिया।
अरे! अचानक! ऐसे कैसे!?
पता नही क्या गलतफहमी है उन्हें! मैं सोचती हूं, तुम और मैं जाकर बात करें अमर।
दादी जरूर कल बात करता हूँ लीव्स के लिए। मैं पहले से उनकी कम्पनी में हूँ मेरा काम वे जानते हैं और ये भी की बेकाम की लीव्स मैं नहीं लेता। मुझे छुट्टी जरूर मिल जायेगी। डोंट वरी!
मगर निशा!? तुम यहाँ अकेली रहोगी? अमर ने कहा।
मैं भी ट्राय करती हूँ। नहीं तो फिर कोई ऑप्शन नहीं। पहले भी रही हूँ।

रात को अमर और निशा दोपहर को हुए हादसे के बारे में चर्चा करते हैं।

कितने अजीब थे न वो दोनों साधु! निशा बोली।
हम्म काफी अजीब!!
बार बार हमारे सामने आ जाते हैं। तुम्हे याद है गुना में भी.. निशा कहते कहते रुक गई।
हमें उस रास्ते पर जाना ही नही चाहिए था।
हाँ शायद।
ऐसी जगहों ओर ऐसे लोगों का होना वैसे कोई आश्चर्य की बात नही है। इत्तेफाकन वो हमारे सामने आगये होंगे बस।
हाँ सही है। निशा समर्थन करती है।
लेकिन वह क्या कह रहा था? मुझे मेरी लाशें नही दी... मेरी तो रूह कांप गई उसे देख सुनकर। निशा ने कहा।
डराने के लिए ऐसे लोग कुछ भी बोलते हैं। अगर हम डर जाते तो हमसे पैसे लूट लेता वो, हमारे डर का ही फायदा उठाकर।
सोचो मत ज्यादा तुम।
हाँ सही कह रहे हो। चलो गुड नाईट। इतना कहकर निशा अपने कमरे में चली जाती है।

दादी को काफी देर नींद नहीं आती। वे हॉल में आकर बैठ जाती है। सोफे पर बैठे बैठे हैं उन्हें झपकी लग जाती है। अचानक उन्हें सपने में अपने दोनों बेटे रोते हुए दिखकर ओझल हो जाते हैं। और तुरन्त बाद हूबहू वैसा ही एक तांत्रिक दिखता है जो तृषा की पेंटिंग में था।

मुझे पैसों का लालची समझ रहे हो जब जान ही नही रहेगी और मेरे पास आना पड़ेगा तब मेरी अहमियत पता चलेगी। इतना कहकर वह भी गायब हो जाता है।
उसके तुरन्त बाद कमरे की बत्तियां फिर से जलने बुझने लगती हैं। दादी घबरकर फिर उठ कर बैठ जाती हैं। उठकर देखती हैं तो हॉल की बत्ती जली हुई ही होती है। यानी सपने में... हो रहा था वो सब। अपने बेटों के रोते चेहरे देख वो बहुत व्यथित हो जाती हैं और उन्हें नींद नहीं आती फिर।

सुबह सुबह उठकर निशा अमर के कमरे के बाहर खड़ी उसे ही देख रही है। दादी उस तरफ आती हैं उनकी नज़र उस पर पड़ते ही वह तुरन्त वहाँ से चली जाती है।
अमर लीव्स के लिए एप्लीकेशन देता है उसे छुट्टियां मिलती है, मगर 3 दिन बाद की यानी अगले हफ्ते। निशा को भी अगले हफ्ते की ही लीव्स मिलती हैं।

मजबूरन दादी फ़ोन पर ही नितिन के परिवार से एक बार और बात करने की कोशिश करती है मगर वे किसी भी तरह मानने को तैयार नहीं होते।
रक्षा को फ़ोन करने पर वह दादी से कहती है-
मैं ठीक हूँ आप दुबारा नितिन के घर फ़ोन मत करना।
तृषा भी बताती है कि रक्षा दीदी काफी बेटर फील कर रही है पहले से। अपने काम मे व्यस्त है। आप वह बात फिर से छेड़ कर उन्हें याद मत दिलाइए। और आप भी चिंता मत कीजिये

तृषा ने थोड़ी देर से निशा को फ़ोन किया।
हाय निशा!!
हे तृषा!!कैसी हो?
ठीक हूं मैं। तुम तो मुझे भूल ही गई न बैंगलोर जाकर!?
नहीं- नहीं!  ऐसी कोई बात नहीं है। समय ही नहीं मिलता यार!तृषा! मुझे तो तुमसे ढेर सारी बातें करनी है। बहुत कुछ बताना है। बहुत बदल गई है लाइफ आजकल।
अच्छा क्या बताना है? बोलो?

बस नया सा लग रहा है सब कुछ!! अभी के लिए बस इतना ही। फिर गुना आ रहे हैं हम अगले हफ्ते। वहाँ आकर ही सब बताऊँगी।

अरे वाह! लेकिन दादी ने तो नही बताया अभी तो बात हुई उनसे।
अच्छा? शायद भूल गई हों। टेंशन में भी है न अभी रक्षा दीदी को लेकर।
हाँ। वैसे वो ठीक हैं अभी।
चलो बढ़िया है।
खैर!तुमने तो पहले से ही प्लानिंग कर ली!!
किस बात की?
मैंने तो कॉल ही इसीलिए किया था निशा। अगले हफ्ते अमर का जन्मदिन है। मैं चाहती हूं उसे हम एक सरप्राइज पार्टी दे।
ये तो बहुत अच्छा प्लान है तृषा!
हाँ! इसीलिए फोन लगाया था तुम्हें! ताकि तुम उसे छुट्टियाँ लेने के लिए मना सको। और फिर उसे यहाँ ले आओ।  मैं कहती तो वह समझ जाता।
अरे वाह आज तो कुछ और अच्छा मांग लेती न तो वो भी मिल जाता।
मेरी तो सारी मुरादे बिन मांगे ही पूरी हो गई निशा!
अच्छा! क्या बात है। अच्छा, सुनो तृषा! मुझे यह तो बताओ अमर को पसन्द क्या है…? मैं भी उसे कुछ अच्छा सा गिफ्ट देना चाहती हूं।

तुम जो दिल से दोगी न वही उसे पसन्द आजायेगा। सबकी बहुत रेस्पेक्ट करता है वो। किसी की दी छोटी से छोटी चीज को भी बहुत संभाल कर रखता है।
फिर भी तुम बचपन से उसके साथ हो कुछ तो स्पेसिफिक होगा जो उसे खुश कर दे।
वैसे वाइट और येलो रोज बहुत पसंद है और लाइट फ्रेगरेंस वाले परफ्यूम और डियोस। और बुक्स तो तुम्हे पता ही है।
ओके तृषा थैंक्यू। तृषा इस बार का जन्मदिन अमर को हमेशा याद रहेगा हमें इसे बहुत धूमधाम से मनाना है।
बिल्कुल निशा उसका जन्मदिन बहुत धूमधाम से सेलिब्रेट करेंगे।  तुम लोग जल्दी आ जाओ।
निशा को प्लान पसंद आता है निशा अमर को लेकर सपने बुनने लगती है।
फ़ोन रखने के दो मिनट बाद तक दोनों के चेहरे पर मुस्कान सी खिली रहती है।

उसी वक़्त रक्षा स्कूल से आती है।
किससे बात करके मुस्कुरा रही हो!?
कुछ नहीं दीदी निशा का फोन था अगले हफ्ते दादी और वे दोनों यहां आ रहे हैं।
अच्छा!
दीदी अगले हफ्ते अमर का बर्थडे भी है।
हां तो क्या चाहती हो?
सोच रही थी कि कोई पार्टी प्लान करें उसकी नई नई जॉब भी लगी है और बर्थडे भी है। दोनों सेलिब्रेशन एक साथ हो जाएंगे। आप कहें तो मैं आपके, मेरे,अमर के हमारे स्कूल टाइम के सारे के दोस्तों को इनवाइट कर लूँ?
हां बिल्कुल! लेकिन मेरे दोस्तों को मत बुलाना। मैं उस दिन जल्दी आने के लिए बोल दूंगी तो मुझे बता देना मैं हेल्प कर दूंगी। कहकर  रक्षा ने हल्की सी मुस्कान दी ।

इधर दादी निशा और तृषा की बातें सुन लेती है। साथ ही निशा के चेहरे पर छाई मुस्कान के अर्थ को भी कुछ-कुछ भांप लेती हैं।
इस दृश्य को देखकर और उनकी बातों को सुनकर वह और भी चिंतित हो जाती है। क्योंकि निशा के मन के भाव कुछ कुछ बता रहे हैं जो अनुभवी दादी समझ लेती हैं। उनके समक्ष निशा और तृषा दोनों के चेहरे हम घूम रहे हैं। वे एक तरह से धर्म संकट में पड़ गई हैं।
एक और तृषा का बचपन से अमर से लगाव, दूसरी और निशा का अमर की ओर आकृष्ट होना। काफी देर अंतर्द्वंद के बाद आखिरकार वे एक निर्णय ले ही लेती हैं।

आज देर रात  उनकी भोपाल के लिए  की फ्लाइट होती है। अमर निशा के साथ फ्लाइट में होता है। दादी दूसरी सीट पर।

निशा अमर  से ढेर सारी बातें करती है और वहीं पर रात 12 बजे उसे बर्थडे विश भी कर देती हैं। तृषा के बताए हुए सारे गिफ्ट वह उसके लिए लेकर आती है।
क्या बात है यहीं?
मैं चाहती हूं इस बार सबसे पहले तुम्हें मैं ही विश करूं।
क्या बात है ये सब तो मेरी पसन्द का है।
यह तो कुछ भी नहीं अमर। इस बार का बर्थडे तुम्हें हमेशा हद रहेगा देखना।
अच्छा! वैसे मेरे इस जन्मदिन पर तुम्हारे लिये भी एक सरप्राइज है।
तुम मेरे बेस्ट से भी बेस्ट फ्रेंड बन चुके हो अमर तुम नहीं जानते हो, तुम्हारे साथ इतने दिनों रहने के बाद मुझे लगता है कि तुम जैसा कोई दोस्त आज तक मुझे क्यों नहीं मिला?
पता नहीं पापा क्यों सुरेश अंकल को और तुम्हें इतना ना पसंद करते थे? उन्होंने कभी मुझे तुमसे ज्यादा बातें नहीं करने दी।  लेकिन तुम्हारे साथ रहने के बाद पता चला कि तुम इतने परिपक्व इतने समझदार रिश्तो को इतनी अहमियत देने वाले व्यक्ति हो।
अच्छा!! अमर ये सुन के थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता है कि मोनू अंकल उसे और उसके पिता को पसंद नहीं करते थे लेकिन निशा की बात सुनकर आखिर में बस मुस्कुरा देता है।

भोपाल से कुछ देर बाद वे गुना पहुंचते है।
तृषा, रक्षा को देखकर दादी की आंखें भर आती हैं।
तृषा दादी के गले लगती है तो उन्हें छोड़ना ही नहीं चाहती है।

अमर के जन्मदिन पर तृषा इस तरह सजी हुई है जैसे उसका खुद का जन्मदिन है  क्या अमर, क्या दादी, क्या निशा,
एक पल के लिए सब  उसे बस देखते ही रह जाते हैं।
हल्की गुलाबी कलर में शिफॉन के सूट में बनी और नेट की फुल स्लीव्स  वाले अनारकली कुर्ते में वह गजब ढा रही होती है।अमर ने ही इसे पिछले बर्थडे पर ये सूट गिफ्ट दिया था।  अगर दादी,और रक्षा दीदी ना होती तो अमर की नजरें उस पर से हटने का नाम ही ना ले पाती।
सभी अंदर आते हैं अंदर आते हैं। पूरे घर को उसने पीले और सफेद गुलाबों से सजा रखा होता है। हॉल में सेंटर टेबल पर बहुत ही खूबसूरत सफेद रंग का टी-सेट शाही कप प्लेट के साथ रखा होता है। तृषा के हाथ की चाय अमर को बेहद पसंद है  उसे देखते ही अमर खुश हो जाता है।

अरे वाह यह तो सबसे बेस्ट बर्थडे गिफ्ट है सब फ्रेश होकर आइए में बढ़िया सी चाय बनाती हूँ। सबके आने पर तृषा सबको चाय देती है। बीच बीच मे कनखियों से अमर को भी देख लेती है। अमर के लिए उसने शर्ट भी लेकर रखी होती है चाय पीते ही वह उसे शर्ट देकर चेंज कर आने को कहती है।

पूरे घर में फूलों और रूम फ्रेशनर की मिली जुली  मदहोश कर देने वाली महक फैली हुई है। हल्का इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक चल रहा है। माहौल बहुत ही खुशनुमा बना हुआ है। अमर अपने कमरे में तैयार हो रहा है और निशा आकर पीछे से खड़ी होकर उसे दूर से देख रही होती है।

अरे! वहां क्या कर रही हो? अंदर आ जाओ।
तैयार हो गए?
हां! बिल्कुल! देखो रेडी हूँ। कहीं कोई कमी?
तुम में कोई कमी है ही नहीं।
अच्छा मस्का लगाया जा रहा है?
मैं सच कह रही हूं अमर।
चलो अच्छा है।
निशा उसकी तरफ एक सफेद गुलाब बढ़ा देती है।
जो वह मुस्कुरा कर ले लेता है।
चले हम? कहकर अमर के अगले कदम बढ़ाने पर वह उसे एक पीला गुलाब देती हैं। वह फिर मुस्कुरा कर ले लेता है।
अगला कदम बढ़ाने पर
और ये रहा मेरा फेवरेट कहकर वह उसे लाल गुलाब देती है ।अमर एक मुस्कान के साथ उसे भी ले लेता है और हाथ मे लेते ही उसे उसका कांटा चुभ जाता है और उंगली में हल्का खून भी आजाता है।
पर उसे नज़रअंदाज़ कर अमर उसे कहता है कि लाल गुलाब देख कर कुछ याद आया मुझे। यह लाल गुलाब प्यार की निशानी होता है ना बहुत बार सुना है मैंने ये। आज मिझे भी तुम्हें कुछ बताना है। क्या?
मुझे प्यार हो गया है निशा!
क्या?
सच मे। मुझे प्यार हो गया है।
क्या होगा अगले एपिसोड में दादी ने क्या निर्णय लिया। उस निर्णय का किस पर क्या परिणाम होगा। साथ चल रहे रहस्यों से क्या पर्दा उठेगा? या फिर किसी की मौत इनकी खुशियों ओर ग्रहण बन मंडराएगी? जानने के लिए पढ़ते रहें रूह का रिश्ता।



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