जीवन सारथि भाग 7

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"शायद इस जन्म में कभी नहीं।"

कहते हुए एक शख्स अंदर दाख़िल हुआ।


हेलो! आय एम डॉक्टर राजेश।

राजश्री का डॉक्टर और दोस्त भी शायद। वीणा और शालिनी की ओर देखते हुए राजश्री का नाम आने पर उसने भौहों से उसकी और इशारा करते हुए कहा।


हेलो राजेश! राजश्री ने जवाब दिया

ये वीणा हैं और ये शालिनी। उसने परिचय कराया।


तो अब कैसा फील कर रही हो? राजश्री से डॉक्टर ने पूछा। बहुत बेहतर। 

भई! गजब की विल पावर है तुम्हारी! मानना पड़ेगा।


सो, वीणा और शालिनी जी आपको आज से इनका विशेष ख्याल रखना होगा। कुछ और MRI और दूसरे टेस्ट्स कल तक खत्म हो जाऍंगे। उसके 2 दिन बाद से इनकी थेरेपीज शुरू होने वाली हैं और दुविधा ये है कि अब तक ये मानी नही है आप दोनों शायद इनको मना लें।


कैसी थेरैपी सर हुआ क्या है इन्हें? शालिनी से रहा नही गया। 

राजश्री को glioma है। 

glioma..? दोनों की प्रश्नसूचक निगाहें राजेश के जवाब के इंतज़ार में उसी पर टिकी थीं। 

राजेश - Glioma यानी… सरल  या आम भाषा मे कहूँ तो एक टाइप का ब्रेन ट्यूमर। डीटेल में तुम्हें राजश्री खुद ही बता देगी उसे सब बता चुका हूँ।


शालिनी और वीणा स्तब्ध सी कभी एक दूसरे को कभी राजश्री के शून्य में ताकते निर्विकार चेहरे और उस पर सजी फीकी सी मुस्कुराहट को देख रही हैं। दोनों की आंखे नम हैं। शब्द कंठ में अटक से गये हों जैसे।


मैं ड्रिप चेंज करने के लिए नर्स को भेजता हूँ। कहकर डॉक्टर बाहर निकल गए। जैसे वो इस कमरे में अब और खड़े रहने में असमर्थता महसूस कर रहे थे।  कमरे में अजीब सा सन्नाटा छा गया।


नर्स ने ड्रिप चेंज की उसके जाने के बाद वीणा ने हिम्मत जुटाकर पूछा -दीदी आप जानते…?


"हाँ।"

वीना का सवाल पूरा होने से पहले ही उससे नज़रें मिलाये बिना ही राजश्री ने संक्षिप्त सा जवाब दे दिया। शालिनी और वीणा एक दूसरे को और फिर राजश्री के भावशून्य चेहरे को देखती रह गई।


वीणा कुछ देर की खामोशी के बाद  -दीदी ट्यूमर तो ठीक हो जाते हैं न। अब कितनी तरक्की कर ली है साइंस ने। वीणा जैसे राजश्री से ज्यादा खुद के डरे हुए मन को तसल्ली देने की कोशिश कर रही थी।


वीणा की बात पर राजश्री मुस्कुरा दी। शालिनी को इस समय राजश्री का यूँ मुस्कुराना बिल्कुल नहीं भा रहा था।


हाँ.. वीणा! ट्यूमर ठीक होते हैं सर्जरी से उन्हें निकाला जा सकता है। मगर तुम्हारी दीदी लाखों में एक है ना तुम ही तो कहती हो तो उसकी बीमारी आम कैसे हो सकती है? मुस्कुराते हुए राजश्री बोली लेकिन इस मुस्कान में हल्की निराशा भी थी। 

शालिनी और वीणा मजबूर सी चुपचाप एकटक राजश्री की बातें सुन रही थी। उसने आगे कहना जारी रखा। 


मेरे ब्रेन में fast growing cancerous ट्यूमर है। और मेरे केस में इसकी ग्रोथ बहुत फ़ास्ट हो रही है।  दिमाग के अधिकांश मुख्य हिस्से को ये कवर कर चुका है। और जिस हिस्से में जिस जगह ये है वहाँ सर्जरी नही की जा सकती। अगर थोड़ा जल्दी ये डायग्नोस होता तब कुछ बात बन सकती थी। डॉक्टर ने खुद सर्जरी के लिए मना किया है।


सर्जरी के बाद शायद मैं पागल हो सकती हूं या अपाहिज भी। पागल होकर जीते जी मरना नहीं चाहती और तुम जानती हो किसी पर निर्भर  होकर जीने की तो मैं बिल्कुल सोच भी नहीं सकती। 

शालिनी और वीना अविश्वास भरी नजरों से राजश्री को देखे जा रही थी। उन्हें जैसे यकीन ही नही हो रहा था उसकी बात पर। उनका दिमाग मानने को तैयार ही नहीं था कि अच्छी भली चलती फिरती उनकी इस बड़ी बहन को इस तरह की गंभीर बीमारी हो सकती है।


लेकिन डॉक्टर कुछ थेरेपी की बात कर रहे हैं न? वीणा अचानक बोली उसका दिमाग हरसंभव इलाज की खोज की दिशा में दौड़ना चाह रहा था।


हाँ, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की। 


मतलब इलाज तो है ना दीदी? शालिनी ने आशा भरी नजरों से इतनी देर में पहली बार राजश्री से नज़र मिलाते हुए पूछा।


शालिनी! इससे ट्यूमर ठीक नहीं होगा हाँ तुम्हारी राजश्री के जीने की अवधि बढ़ाई जा सकती है।

ट्यूमर की ग्रोथ और असर को कम किया जा सकता है। मगर  इसकी भी एक लिमिट है! उस लिमिट से ज्यादा कीमोथेरपी और रेडियोथेरपी से  किसी को नही दी जा सकती। 

वो भी मेरी हेल्थ कंडीशन पर डिपेंड करेगा कि मुझे कितनी सिटिंग्स इसकी दी जा सकती है। इसलिए बी. पी.,  शुगर, हाइट वेट, किडनी, लिवर की जांच, विभिन्न तरह के ब्लड टेस्ट और इम्युनिटी टेस्ट ये लोग कर रहे हैं। ताकि पता चल सके थेरेपीज कितनी और कब कब दी जानी है और थेरेपी खत्म होने के बाद भी मौत तो आनी ही है न!


क्या 3 महीने और क्या 6 महीने? क्यों इतना पैसा फिर इस इलाज में  हम लगाएँ? वो भी तब जब इसके बाद भी जीने की कोई आस नही। इससे बेहतर ये न हो कि यही पैसा हम संस्था में बैठे जीवित लोगों के हित के लिए खर्च करें.?


वीणा और राजश्री के सिर पर जैसे एक के बाद एक बम से फूट रहे थे। जैसे तैसे उन्होंने खुद को रोका हुआ था राजश्री के सामने वो दोनों रोना और हिम्मत खोना नही चाहती थीं। लेकिन रह रह के उनके आंसू सब्र का बांध तोड़ आंखों से बाहर आ रहे थे। उनके दिलों की धड़कने अचानक तेज हो चली थीं दोनों के मन मे एक अजीब सी बेचैनी और घबराहट ने जन्म ले लिया था। 

बड़ी मुश्किल से उन्होंने खुद को संयत किया कि कहीं उनकी वजह से राजश्री को तकलीफ न पहुँचे।


आप इतनी कठोर ओर निर्मोही कैसे हो सकती हैं दीदी? आपको इतना सब पता ओर हमें आज तक नहीं बताया वीणा बोली।


अप्रत्यक्ष रूप से बताने की कोशिश की थी वीणा पर बात अधूरी ही रह गई। मुझे लगा शायद सही समय अभी आया नही। सही समय पर तुम लोगों को सब बता दूँगी। धीरे धीरे तुम लोगों पर जिम्मेदारियां  डाल तुम्हें इसलिए  मैं तैयार भी कर रही थी। शांत भाव से उसने जवाब दिया। 


और मैं कितनी बुरी हूँ वीणा! मैं दीदी के  साथ रही और फिर भी नही जान पाई आप किस तकलीफ से गुज़र रही हैं। शालिनी की रुलाई फुट पड़ी। 

सब्र रखो तुम दोनों मुझे खुद भी 2 महीने पहले पता चला है। मैंने सिरदर्द को साधारण लिया लेकिन जब दूसरी समस्याएँ लगी कुछ समय पहले लगा कि चीजें अब मैं कईँ बार भूल जाती हूँ। तब मैं डॉक्टर के पास गई। शायद मुझे थोड़ा और पहले इस पर ध्यान देना था। जब मैं ही अपने अंदर पल रही बीमारी नहीं पहचान पाई तो तुम कैसे जानोगी शालिनी?


ये समय बिखरने का नहीं एक दूसरे को सम्भालने का है मेरे सारे अधूरे काम तुम्हें पूरे करने हैं वो भी जल्द से जल्द बहुत कम समय रह गया है। राजश्री ने उम्मीद भरी नजरों से शालिनी और वीणा को देखते हुए कहा।


दीदी आप ऐसा मत कहिये आपके साथ तो कितनों की दुआएँ और आशीर्वाद  हैं। मुझे विश्वास है आपको कुछ नहीं होगा। वीणा बोली


जाना तो तय होता ही है न। मैं तो लकी हूँ जो मुझे जाने का समय पता है। मुझे पता चल गया है कि मुझे इतनी समय सीमा में इतना काम करना ही है। अब मैं अच्छे से हर काम का प्रबंधन तय सीमा के हिसाब से कर पाऊंगी। अब मैं वो सारे काम और जल्दी पूरे कर लेना चाहती हूँ। और जितने बचे दिन हैं वो रो धोकर बिताने का क्या फायदा। मुझे भी खुश रखो खुद भी खुश रहो। ताकि में सुकून से जा पाऊँ।  पहले तो तुम दोनों ये रोनी सी शक्लें बनाना बन्द करो। मैं क्या दुनिया की पहली औरत हूँ जो किसी बीमारी से मरने वाली है. बस जितना टाइम बचा है उसमे खुशी खुशी मेरे अधूरे काम पूरे करने में मदद कर दो मेरी। राजश्री अपनी आवाज़ में उत्साह भरकर  माहौल को सामान्य बनाने की  हरसंभव कोशिश कर रही थी।


ठीक है दीदी हम आपकी हर बात मानने को तैयार हैं। मगर बस 1 शर्त है। आपको ये थेरेपी करवानी ही होगी। कुछ भी हो। वीणा आंसू पोंछते हुए बोली।

कहानी जारी है...

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