जीवन सारथि भाग 8
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दीदी आपकी सारी बात हम मानेंगे।
मगर आपको भी हमारी बात सुननी होगी। आप थेरेपीज कराएँगी चाहे कुछ भी हो।
वीणा बात समझो इसमें पैसा बर्बाद करने का कोई तुक नहीं।
हमें उससे कुछ नही लेना दीदी! और आप खुद सोचिए आपके पास ज्यादा समय होगा।
आप और ज्यादा लोगो का भला कर पाएँगी।
तुम समझ नहीं रही वीणा।
मुझे समझना भी नहीं है दीदी।
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद राजश्री बोली- ठीक है मैं तैयार हूं। वीणा और शालिनी ने तसल्ली की सांस ली।
पर एक बात तुम्हे मेरी भी सुननी होगी वीणा।
ज़िद छोड़ कर वापस जाओ। राजन्शी का स्कूल, तुम्हारा बुटीक, संस्था का काम और उनसे भी जरूरी मेरी डायरियां तुम्हे पढ़नी है। सारे काम समझने हैं। अगर चीज़े सही से न समझी तो बाद में बहुत से लोगों को परेशानी होगी।
राजश्री ने इस बार हल्के आदेशात्मक लहज़े में कहा।
ठीक है कल शाम तक चली जाऊंगी। अनमने मन से वीणा ने हामी भरी।
आप लोग अब बाहर बैठिये। मीटिंग ऑर में आईएगा। उसके पहले ज़रूरत हुई तो आपको बुला लेंगे। पेशेंट के कुछ टेस्ट करने हैं कुछ इंजेक्शन्स देने हैं जिसके बाद इन्हें कुछ देर रेस्ट करना होगा। नर्स बोली।
शालिनी और वीणा रूम से बाहर निकल गई।
बस बाहर से शांत थी दोनों। उनके अंदर तो तूफान चल रहा था।
रात के लगभग 2 बज रहे थे
उन्होंने रानी को फ़ोन कर बता दिया कि राजश्री ठीक है। फ़ोन पर ज्यादा बताकर उसे परेशान करना दोनों ने जरूरी न समझा।
वेटिंग एरिया के सोफे पर वीणा और शालिनी किसी बुत सी बैठी थीं। उन्हें लग रहा था उनके न हाथ पैरों में जान है न जीने की इच्छा। दोनों को लग रहा था जैसे उनका जीवन खत्म सा हो गया हो। राजश्री के साथ बिताए 1-1 पल रह रह कर उनकी आँखों के सामने चलचित्र से घूम रहे थे। जिन्हें याद करके उनके चेहरे पर कभी हल्की मुस्कान खिलती तो कभी आंसुओं की बरसात हो जाती। दोनों एक दूसरे के गले लग फूट फूट कर रोने लगतीं। लोग शायद उन्हें देखकर तरह तरह की बातें कर रहे हों, मगर उनका ये दुख वो दोनों ही समझ सकती थीं। इन भावों की गहराई तक वहाँ बैठे किसी व्यक्ति का पहुँच पाना बहुत मुश्किल था। उनके लिए तो जैसे उनका भगवान उनसे दूर हो रहा था।
सुबह के 4 बजे तक राजश्री के लगभग सभी टेस्ट हो चुके थे। उसे कुछ इंजेक्शन्स दिए गए थे जिनके असर से इस वक़्त वो गहरी नींद में थी।
नर्स ने शालिनी और वीना को बता दिया था कि फिलहाल 2 से 3 घण्टे किसी अटेंडेंट की ज़रूरत नहीं है। आप चाहे तो रेस्ट कर सकती हैं। वीना ने शालिनी को घर हो आने को कहा। ताकि वह रानी को यहां की स्थिति भी बता दे और हॉस्पिटल में लगने वाला ज़रूरत का सामान भी ले आए।
शालिनी घर पहुँचती है। रानी आते ही पूछती है कि दीदी जी कैसी हैं? उनकी अस्पताल से कब छुट्टी होगी?
अभी शायद 4-5 दिन अस्पताल में रहना होगा रानी। इतना कहकर शालिनी अपने काम निपटाने में लग जाती है। नहाकर वह अपने और राजश्री के कपड़े और कुछ ज़रूरी समान पैक करती है।
रानी उसके लिए चाय नाश्ता बनाने में लग जाती है। और किचन से ही शालिनी से बात करने लगती है। पर आप तो कह रहे थे वो ठीक हैं। तो इतने दिन क्यों रुकना है।
हाँ पहले से बेहतर हैं वो अब। कुछ ट्रीटमेंट और देना है।
अच्छा! रानी असमंजस में पड़ जाती है।
दीदी कल वो अंकल आंटी आये थे जिनको लेकर राजश्री दीदी घर ढूंढने गए थे। दीदी का पूछ रहे थे वो।
अच्छा..।
मैने बताया कि वे अस्पताल में हैं तो बहुत चिंता में पड़ गए। अस्पताल का नाम पता पूछ रहे थे मगर मुझे नही पता था सो मैने उन्हें कहा कि दीदी के ठीक होकर घर आते ही मैं आपको फ़ोन लगवाकर बताऊँगी।
ह्म्म। शालिनी ने वहीं से संक्षिप्त सा उत्तर दिया।
रानी अभी नाश्ता मत बनाओ बच्चे उठ जाए फिर बनाना। शालिनी ने किचन में प्रवेश करते हुए कहा।
दीदी आप भी कुछ खा लो और वीना दीदी के लिए भी ले जाओ।
फिलहाल मन नहीं है रानी।
दीदी मन से क्या होता है कल शाम से कुछ नही खाया आप लोगों ने। फिर में कैसे कुछ खाऊँगी।
तुम चिंता मत करो हमे भूख लगी तो कैन्टीन से कुछ ले लेंगे।
तुम खा लेना बच्चों को खिला देना। वीना शाम तक आएगी शायद। राजन्शी को तैयार कर देना । इसे लेकर वह शाम को अपने घर के लिए निकल जाएगी।
ठीक है दीदी। रानी ने जवाब दिया।
अब मै चलती हूँ अस्पताल।
ठीक है दीदी।
ड्राइव करते हुए भी उसकी आँखें बार बार नम हो रही थीं।
अस्पताल पहुंचकर शालिनी वीना से- मैं
चाह कर भी रानी को कुछ बताने की हिम्मत जुटा नहीं पाई। समझ नहीं आ रहा, कैसे कहूँ राजश्री दीदी के बारे में ऐसा कुछ भी?
वीणा भी कुछ न बोल पाई।
वीणा को कुछ देर बाद किसी पेपर फॉरमैलिटी के लिए रिसेप्शन पर बुलाया गया उसने ये सोचकर शालिनी को भेज दिया कि उसे तो आज जाना होगा। हॉस्पिटल की फॉर्मेलिटीज का ज़िम्मा शालिनी ही ले तो अच्छा है। शालिनी रिसेप्शन पर फॉर्म भर रही थी तब एक शख्स आकर राजश्री कहाँ एडमिट है, पूछता है।
इधर नर्स आकर वीना से कहती है पेशेंट का ब्रेकफास्ट आ गया है आप रूम में चलिए ब्रेकफास्ट के बाद की दवाईयाँ आपको समझा देती हूं।
वीना साथ चली गई नर्स ने दवाईयां समझाई। वीणा हैंडवाश करने गई ताकि दवाई दे सके। इधर वह शख्स भी राजश्री के रूम की और आ रहा था।
उसको कमरे में प्रवेश करते देख राजश्री का मन कसैला सा हो गया उसने प्लेट साइड में रख दी। वह खुद ही स्टूल ले कर वहाँ बैठ गया। इधर वीणा भी राजश्री के कमरे की तरफ आ रही है और शालिनी भी। दूर से किसी को वह बैठा देख दोनों की चाल धीमी हो जाती है। शालिनी और वीणा उसे देख कमरे के बाहर ही खड़ी हो जाती हैं। इधर राजश्री से कोई प्रतिक्रिया न पाकर वह खुद ही बोलने लगता है।
अब भी वक़्त है राजश्री छोड़ दो अपनी ये ज़िद। देख लिया मनमानियों का नतीज़ा दूसरों के लिए अपनी पूरी ज़िंदगी होम कर दी। फिर भी अकेली रह गई जीवन के इस कठिन दौर में। उस ववत अगर उस शिवि के बारे में न सोचती गर अपने पति और परिवार की बात सुनती तो आज तुम्हारी लाइफ कुछ और होती।
शालिनी और वीणा एकदूसरे को देख बात समझने की कोशिश करती हैं ना समझ आने पर दोनों एमदुरे की ओर देख न में सर हिला देती हैं।
मुझे तुम्हे कोई जवाब देने की जरूरत नहीं है तुम्हारे सारे सवालों के जवाब तुम्हे कुछ दिनों में मिल जाएँगे। वीणा बेरुखी से बोली।
अब भी समय है केस वापस ले लो। मैंने आज भी डाइवोर्स पेपर साइन नही किये। छोड़ो इन रोडछाप लोगों को अपने हाल पर। और अपने जीवन मे वापस आजाओ।
राजश्री गुस्से से- जीवन! कैसा जीवन!? वो मौत से भी बदतर जीवन!? जहाँ व्यक्ति सिर्फ अपना स्वार्थ सोचता है। और अपने स्वार्थ के लिए किसी को मुसीबत में डालने से भी गुरेज नहीं करता? और आज तुम खुद भी मेरे पास अपने स्वार्थ के लिए ही तो आ रहे हो। एम आय राइट.? और कौनसे घर आऊँ? वहाँ, जहाँ सर्वस्व न्यौछावर करके भी जो मेरा अपना नहीं है.?
मुझे ऐसे जीवन से कोई सरोकार नहीं है। Mr विनोद मेरा जीवन जितना भी है बहुत अच्छा और सुखी है। और मेरे पास दुनिया मे सबसे बड़ा परिवार है। खैर ये सब तुम्हारी समझ से बहुत ऊपर की बाते हैं।
तुम्हारी अकड़ अब भी नहीं गई ना?
आखिर क्या मिला ये सब अच्छे कर्म करके भी निस्वार्थ बनकर भी ? कैंसर हो गया तुम्हे तो अब क्या केस चलाओगी मुझ पर? कोई और दिन होता तो शायद राजश्री मुंहतोड़ जवाब देती। मगर आज बस चुप बैठी शून्य में ताकती रही।
मगर बाहर खड़ी शालिनी और वीणा से चुप रहा नहीं गया। तुरन्त अंदर आकर बोली आप होते कौन हैं उनसे इस तरह चिल्ला कर बात करने वाले वे बीमार हैं। और आप उनसे इस तरह बात नहीं कर सकते।
पति हूँ इनका और भले की बात कर रहा हूँ। शालिनी और वीणा राजश्री को देखती रह गई । उसकी चुप्पी ने विनोद के कथन को सही ठहरा दिया था।
वीणा विनोद से बोली आप जो भी हों, उससे आपको ये हक नही मिलता कि आप बीमार व्यक्ति को परेशान करें। पत्नी हैं वो आपकी गुलाम नहीं है। राजश्री मुस्कुराती हुई वीणा के आत्मविश्वास को देख रही थी। ये वही वीना थी जो एक समय कहा करती थी पति कैसा भी हो नाम के लिए सही पर उसका हाथ छोड़ा नहीं जा सकता। आज पूरी रौ में बोले जा रही थी आप फिलहाल उन्हें स्ट्रेस नही दे सकते अभी इसी वक्त बाहर जाइये। वीणा ने आगे कहा।
इतने में नर्स भी अंदर आ गई।
इतने लोग एकसाथ अंदर क्या कर रहे हैं? हॉस्पिटल को हॉस्पिटल ही रहने दीजिए। सब बाहर निकलिए। इनके पास कोई भी एक अटेंडेन्ट रुकेगा बस। और शोर करना अलाउड नही है। नर्स के ऐसा कहने पर शालिनी तुरंत बाहर निकल गई। मजबूरन विनोद को भी बाहर जाना पड़ा। इन्हें दवाई देकर आप भी बाहर इंतज़ार कीजिये।
राजश्री जी आप नहाकर तैयार रहिए। 20 मिनिट में आपका योगा सेशन शुरू होना है। वीना और राक्षरी से कहकर नर्स चली गई।
कुछ समझ नही आ रहा दीदी आपने अपने जीवन के किसी पहलू के बारे में कभी किसी को नही बताया? मुझे तक नहीं.. कौन हैं ये विनोद, शिवि, आशा इतने किरदार कहाँ से आ गये आपके जीवन में? आप कहती थी मैं अकेली हूँ इसलिए लोगों का साथ पसंद है। अपने सहारे के लिए तुम सबको अपने साथ रखती हहूँ। मगर यहाँ तो सब बदला लग रहा है।
फिलहाल इतना समय नहीं है सब विस्तार से बता पाऊँ। पर अब तुम्हारा सब जानना जरूरी है। शालिनी को मैं बता दूँगी।
बैडरूम के साइड टेबल के दराज़ से मेरी डायरियाँ ले जाना। पहली में मेरा अतीत, तीसरी में मेरे फ्यूचर वर्क प्लान्स हैं। अब तुम्हें ही सब हैण्डल करना है। ट्यूमर के बढ़ने के साथ मेरी मेमोरी धीरे धीरे कम हो सकती है शायद मैं चीज़े भूलने लगूं, ऐसा डॉक्टर ने कहा था। तो एहतियात के तौर पर, दूसरी डायरी में अभी चल रहे काम, किससे कब मिली, किसे कहाँ रखा, किसको क्या दिया, मंथली किसे रुपए देना, पहुंचाना, ड्यूज, रेंट, पैसे, प्रॉपर्टी, से रिलेटेड सारी इनफार्मेशन दूसरी डायरी में है। अब तुम्हारे हवाले सब कुछ।
चलो मेरे योगा सेशन का टाइम हो रहा है। तुम बैठो। कहकर राजश्री रेडी होने चली गई। वीणा ढेर सारे सवालों का पुलिंदा मन में लिए शालिनी के पास वेटिंग एरिया में चली आई।
कहानी जारी है...
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