जीवन सारथि भाग 9

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जीवन सारथि भाग 1

शालिनी वीणा का ही इंतज़ार कर रही थी।

क्या हुआ कुछ बताया दीदी ने कौन था ये? किसकी बात कर रहा था। उसका दिल दिमाग भी ढेर सारे सवालों से लबरेज़ था इस वक़्त।
लेकिन जवाब तो वीणा के पास भी नहीं था। 
नहीं। डायरी में सब लिखा है दीदी कह रही थी।
कहकर वीणा बुत सी उसके पास बैठ गई।

शालिनी ने उसे पानी दिया और कहा चलो कुछ खा लो वीणा। तुम्हें जाना भी है फिर। राजन्शी के लिए, राजश्री दीदी का ख्याल रखने के लिए खुद का ख्याल रखना भी ज़रुरी है।
मन ही नहीं है शालिनी। कुछ समझ ही नही आ रहा। जैसे एक पल में सब बदल गया पूरी दुनिया उलट पलट हो गई हमारी।

मन तो मेरा भी नही है वीणा समझ तो मुझे भी कुछ नहीं आ रहा। मगर खाना तो होगा। वरना वीकनेस होगी ऐसे में। अब दोहरे कामों की जिम्मेदारी होगी हम पर।

हाँ शालिनी,  दीदी के होते तो कभी महसूस ही नही हुआ सब कुछ वो संभाल लेती थीं।

दोनों जाकर कैंटीन में बैठकर बेमन से थोड़ा बहुत खाकर आ जाती हैं। राजश्री को फिर कुछ दवाईयां दी गई हैं। नर्स उन्हें बुलाने आ गई है। आप दोनों चाहें  थोड़ी देर उनके पास बैठ सकते हैं। बाकी मरीजों को हम बार बार मिलने से रोकते हैं, पर कैंसर पेशंट के लिए उनके आसपास का खुशनुमा माहौल भी एक तरह से दवाई का काम करता है। बस पॉजिटिव और हैप्पी रहिये उनके सामने कि आपकी शक्लें देखकर आधी परेशानी उनकी दूर हो जाए। वीणा और शालिनी तय कर चुकी थी कि अब उन्हें कोई भी पुरानी बात नहीं छेड़नी है ना ही कोई सवाल करना है। अपने चेहरे पर मुस्कान सजा कर दोनों राजश्री के पास बैठ जाती हैं।
कैसा रहा आपका योगा सेशन?
बढ़िया।
तुम दोनों ने कुछ खाया?
हाँ दीदी।
लग तो नहीं रहा। अच्छा शालिनी मेरे मोबाइल में 1 to do list बनाओ जैसे मैं कहती हूँ वैसे।
इस तरह खाली बैठना सबसे ज्यादा बुरा अनुभव है। नहीं?
कुछ देर बैठकर उन्होंने बातें की। वीणा को राजश्री ने संस्था के सम्बंध में कुछ और जानकारियाँ दी। आने वाले समय के कुछ प्लान्स डिसकस किये। और वीणा को वहां से रोज़ फ़ोन करने की हिदायत दी।
कुछ देर बाद नर्स आकर कहती है कि डॉक्टर राजेश वीणा और शालिनी को बुला रहे हैं। उनके केबिन का रास्ता बताकर राजश्री को आराम करने का कह वह चली जाती है।

वीणा, शालिनी अनुमति ले डॉक्टर  राजेश के केबिन में पहुँचती हैं।
बैठिये। डॉक्टर ने कुर्सी की और इशारा कर कहते हुए अपनी बात जारी रखी।
मैं राजश्री को काफी समय से जानता हूँ। वो बहुत संवेदनशील है मगर सिर्फ़ दूसरों के केस में। खुद को हो रही तकलीफ ज़ाहिर नहीं करेगी। शायद हम से कोई भी अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता कि उसे जब जब ये सिरदर्द होता है कितना भयावह होता है । फिर भी वह इतने लंबे समय से इसे झेल रही थी। न जाने ये हमारी बदकिस्मती है या उसकी विल पावर कि राजश्री की बीमारी जितनी खतरनाक है उसके कुछ  प्रतिशत लक्षण भी उसमे सिवाय सिरदर्द के कभी दिखाई ही नहीं दिए। वरना जल्दी ट्यूमर पकड़ में आने पर उनकी स्थिति सुधर भी सकती थी। बहरहाल उसके सारे टेस्ट हो गए हैं। कुछ की रिपोर्ट्स आनी बाकी है। अगर वे रिपोर्ट्स जैसा में सोच रहा हूँ वैसी ही आई, तो हम कल से कीमो और रेडिएशन की alternate sitting शुरु करना चाहेंगे। दोनों की पहली सिटिंग में 1 दिन का अंतर रहेगा और पहली कीमो थेरपी के अगले दिन उसके इफ़ेक्ट या कहूँ साइड इफ़ेक्ट देखने के लिए हमे राजश्री को अस्पताल में रखना होगा। तीसरे दिन पहली रेडियोथेरेपी देकर चौथे दिन उसके इफ़ेक्ट देखने के लिए उसे हॉस्पिटल में रुकना पड़ेगा। यदि सब सही होगा तो उसके अगले दिन डिस्चार्ज मिल जाएगा। इसके बाद हर हफ्ते उसे 3-3 सिटिंग दोनों थेरेपीज की हॉस्पिटल आकर लेनी है। थेरेपी के 1 घण्टे बाद वो घर जा सकती है। अब उसके साथ हर वक़्त किसी का रहना जरूरी है।
फ़िलहाल उसे कुल 24 सिटिंग्स दोनों थेरेपी की देनी है। आगे उसकी हेल्थ  कंडीशन को देखते हुए इसे आगे और कंटिन्यू रखना है या नहीं यह मैं आपको बता दूंगा।

जी डॉक्टर।

कुछ बातें जिनका आपको विशेष ध्यान रखना है।
राजश्री को बहुत ज्यादा थकान हो सकती है। उसे खुद को मानसिक तौर से बहुत मजबूत रखना होगा। हालांकि उसे यह सब बातें मैं पहले ही बता चुका हूं एंड शी इज अ ब्रेव एंड स्ट्रॉन्ग लेडी।
मगर पहली कीमो और पहली रेडियोथैरेपी दोनों ही शायद उसकी बॉडी एक्सेप्ट करने में टाइम लगाए। ऐसे में आपको उसका संबल बनना है। थेरेपी शुरू करने के बाद शरीर मे कई तरह के बदलाव आएंगे। इस दौरान उसकी इम्युनिटी तेज़ी से गिरेगी। उसके खान पान का विशेष ध्यान रखना होगा हाई प्रोटीन डाइट, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला खाना उसके आहार में शामिल करना होगा। शायद खाने में उसे स्वाद महसूस न हो या अजीब लगे। तला, भुना मसालेदार खाना और स्पेशली उसकी चाय उसे बन्द करनी पड़ेगी।
दोनों की पहली सिटिंग के बाद उसे कुछ मिनिट असहनीय सिरदर्द होगा। थेरेपीज के दौरान आपको अपने घर मे भी
साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा। कमज़ोर इम्युनिटी की वजह से उसे  किसी तरह का इन्फेक्शन जल्दी हो सकता है। ये सब साइड इफेक्ट कुछ समय के लिए रहेंगे ट्रीटमेंट आगे बढ़ने पर बाल झड़ना भी शुरू हो सकते हैं। ऐसे में आपको उसका मानसिक संबल बनकर उसके साथ खड़े  रहना है। और इन सबसे महत्वपूर्ण उसे पॉजिटिव और खुश रखने की जिम्मेदारी आप लोगों की है। इसके अलावा किसी भी तरीके की समस्या आने पर इस कार्ड पर मेरा नंबर है आप कभी भी कॉल करके बात कर सकते हैं। डॉक्टर की सारी बातें सुनकर  उन्हें अजीब सी घबराहट सी महसूस होने लगती है। वीणा और शालिनी थोड़ी चिंतित हुई। मगर एक गहरी सांस ले खुद को संयत कर उठ गई। दोनों जानती थीं अब अपने सारे भय एक तरफ रख उन्हें दोहरी मजबूती के साथ राजश्री के लिए खड़ा होना था। डॉक्टर की हिदायतें सुन उन्हें थैंक्यू कहकर वह दोनों केबिन से बाहर आ गई।
बाहर आकर वीणा  शालिनी से -शालिनी अब तुम्हारी दोहरी परीक्षा शुरू हो गई। तुम्हें  हर पल दीदी का साया बनकर रहना है उनका पूरा ख्याल रखना है। काश मैं भी यहाँ रुक पाती।

तुम चिंता मत करो वीणा, उन्होंने हम जैसों के लिए अपनी और अपनी  जिंदगी की बिल्कुल भी परवाह नहीं है। मेरे होते कभी किसी बात की कोई परेशानी मैं उन्हें नहीं होने दूंगी। वीणा के हाथ पर हाथ रख सजल नेत्रों से उसने आश्वासन दिया।
शाम होने को थी।
वीणा के निकलने का समय हो चला था जाते हुए वह राजश्री से मिलने गई तो राजश्री ने उसे ठीक से पहुँच कर इत्तला देने और राजन्शी को ढेर सा प्यार देने को कहा। संस्था के हर दिन के काम की जानकारी उसे मेल करने को कहकर गले लग कर उसने वीणा ने को विदा दी।

वीणा घर पहुंची तो राजन्शी जाने से  पहले राजश्री मौसी से मिलकर जाने की ज़िद करने लगी। मम्मा मुझे मौसी से हैप्पीनेस मोमेंट  बनाने के आइडियाज लेने हैं ना। और बिना उनसे मिले हम कैसे जा सकते हैं?
मौसी यहाँ नहीं है बेटा। वो और शालिनी मौसी किसी काम से बाहर गई हैं। फिर हम क्यों आये थे यहाँ? रानी मौसी को ड्राप करने और मुझे नहीं पता था वे दोनों नहीं है घर। चलो अब देर मत करो। नेक्स्ट टाइम हम आएँगे तब मिलेंगे। फिलहाल हमे जाना है। 10 मिनिट  ऋषभ भैया  के संग खेल लो फिर हम चलते हैं।
यह कहकर वीणा रानी को अलग कमरे में ले जाकर राजश्री का के बारे में सब बताती है।
देखो रानी, शालिनी को हर समय दीदी के साथ रहना है। ऐसे में घर की और थोड़ी ऋषभ की ज़िम्मेदारी भी तुम पर होगी।
जो हालत कुछ देर पहले वीणा और  शालिनी की थी वही अब रानी की हो रही थी। वीणा ने उसे ढाँढस बंधाते हुए समझाया,  दीदी इस बारे में सब कुछ पहले से जानती है। हमारे दुखी रहने से वे सुखी या खुश नहीं रह पाएँगी। हमें अब सच को स्वीकारते हुए दीदी को खुश रखना है उनका ख्याल रखना है और उनके हर लक्ष्य को पूरा करने में उनका साथ देना  है। इस घर को  ऋषभ को संभालकर तुम अपना योगदान दे सकती हो। कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन करना, मैं हमेशा मदद के लिए तैयार हूँ, कह कर वह राजश्री के कमरे की और गई। वहाँ उसकी दराज़ में एक -सी तीन डायरीज थीं।  जिन पर 1 से 3 no मार्क किये थे। उसने डायरियाँ उठाकर किसी कीमती अमानत की तरह बैग में रख ली। रानी और ऋषभ को अलविदा कहकर अपना ख्याल रखने की हिदायत दे वीणा और राजन्शी  घर की ओर निकल पड़े।
शालिनी वीणा और रानी तीनों अब अकेले और  अलग अलग दिशाओं में थे। पर तीनों के मन का हाल इस वक़्त एक सा था।

शालिनी वेटिंग एरिया में बैठे हुए वह समय याद कर रही थी, जब राजश्री उसे अपने घर लेकर आई थी। 3 साल के छोटे से ऋषभ को गोद में छोड़ जब उसके पिता स्वर्ग सिधार गए। ससुराल वालों ने उसका साथ न दिया। घर से बाहर कर दिया। अनाथ शालिनी छोटे से बच्चे के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो गई। किसी सम्भ्रांत कॉलोनी में घर-घर जाकर वह काम माँग रही थी और उसी कॉलोनी के एक घर से राजश्री का निकलना हुआ तपती धूप में इतने छोटे बच्चे की कुम्हलाई सी दशा राजश्री से नहीं देखी गई और वह उसे अपने साथ ले आई। उस वक़्त एकमात्र राजश्री थी, जिसने शालिनी का साथ देकर अपने साथ रखा उसके बच्चे को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली। राजश्री के घर का काम करते-करते शालिनी कब राजश्री के घर का सदस्य बन, उसके जीवन सफर में शामिल हो गई उसे खुद भी पता नहीं चला। दुनिया में राजश्री और ऋषभ और राजश्री से जुड़े लोगों के अलावा अब उसे किसी से सरोकार नहीं था। रह रह कर उसके हाथ राजश्री के लिए प्रार्थना में जुड़ जाते।

रानी का अब रो रो कर बुरा हाल था। ऋषभ से नज़रें बचाती बस वो ऑंसू पोछती और उसके ज़हन में राजश्री का हँसता मुस्कुराता भीड़ में उसके लिए 10 लोगों से लड़ता चेहरा फिर से घूम जाता। इन चंद दिनों में वो उसके दिल मे विशेष स्थान बना चुकी थी। रानी के कदम स्वतः घर के मंदिर की और मुड़ गए। वह ईश्वर से  प्रार्थना करने लगी कि राजश्री को जल्द स्वस्थ कर दे।

इधर वीणा भी कमोबेश इसी स्थिति में कैब में बैठी थी राजन्शी सो चुकी थी और वीणा के ऑंसू थम नहीं रहे थे। जब तक शालिनी साथ थी तो एक दूसरे का सहारा था। रानी को तो वह समझ आई पर अब  अकेले में वह चाहकर भी अपने आँसू रोक नहीं पा रही थी। मन भर आया था उसका। उसके लिए राजश्री सब कुछ थी। शायद वह यूँ ही घुट घुट कर अपनी माँ और बहन के जैसा जीवन व्यतीत कर रही होती अगर उसे राजश्री न मिली होती। वही थी जिसने इसके जीवन को नए आयाम, आगे बढ़ने का जज़्बा दिया था। हे प्रभु दीदी ही  मेरे जीवन की एकमात्र जमा पूंजी है। अगर मैने जीवन मे एक भी अच्छा काम किया हो तो उसके फलस्वरूप उन्हें स्वस्थ कर दो। कह कर उसकी रुलाई फूट पड़ी। कैब ड्राइवर की नज़र पड़ने से पहले उसने खुद को संयत किया और सजल नेत्रों से खिड़की से बाहर पीछे छूटते  धुंधले होते रास्तों को देखने लगी।

वीणा का दिमाग बस अब राजश्री के  सोचे हर काम को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में दौड़ रहा था। जिसकी शुरुआत उसे राजश्री की डायरी पढ़ने  के साथ करनी थी। उसके दिमाग में अब घर पहुँचने की जल्दी थी जहाँ वह सुकून से बैठकर ये काम कर सके। कुछ देर में वीणा  घर पहुँच चुकी थी।  उसने राजश्री को फोन किया शालिनी ने फोन उठाया। उसने बताया कि वह घर पहुंच चुकी है।
दीदी और तुमने खाना खाया या नहीं?

शालिनी बताती है कि वह अभी राजश्री के पास में बैठी है। उसका खाना आ गया है। दोनों साथ बैठकर खा रहे हैं। इस के बाद कुछ दवाईयां देनी है और फिर वह दोनों आराम करेंगे।
ठीक है अपना और दीदी का ख्याल रखना। कहकर वीणा ने फ़ोन रखा।

राजन्शी भी उठ गई थी। वीणा ने उसे कुछ खिलाकर उसके साथ बेमन से  थोड़ा बहुत खाया। राजन्शी को दूध दे सुलाया। घर की थोड़ी बहुत सफाई और दूसरे काम निपटाते रात के 11 बज चुके थे। वीणा की आंखों में नींद नहीं थी। उसने राजश्री की पहली डायरी पढ़ने के लिए निकाली।


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