18 रूह का राहत5 आखिर कौन

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रूह का रिश्ता: एक अंधेरी रात

रूह का रिश्ता:अतीत की यादें

रूह का रिश्ता: अनहोनियों की शुरुआत

रूह का रिश्ता: अनसुलझी पहेलियाँ

रूह का रिश्ता: लम्हे खुशियों के

रूह का रिश्ता: भूलभुलैया

रूह का रिश्ता:राह-ए- कश्मीर

रूह का रिश्ता: हादसों की शुरुआत

रूह का रिश्ता: रहस्यों की पोटली

रूह का रिश्ता:अनजानी परछाईयाँ

रूह का रिश्ता:उलझती गुत्थियाँ

रूह का रिश्ता: रहस्यों की दुनिया

रूह का रिश्ता: एक अघोरी

रूह का रिश्ता: बिगड़ते रिश्ते

पिछले एपिसोड में आपने पढ़ा रक्षा की शादी फिक्स हो जाती है निशा की एग्जाम है इसलिए दादी और अमर उसके साथ बेंगलुरु जाते हैं जहां अमर को पता चलता है कि उसे भी जॉब की फर्स्ट पोस्टिंग बेंगलुरु में मिली है। निशा भी वहीं रहकर जॉब करने का सोचती है।
दादी कुछ बताना चाहती है मगर बात नहीं पाती रात को सोने की कोषिः करते वक़्त उन्हें रोने चीखने की आवाजें आती हैं जो बत्ती जलाने के साथ बंद हो जाती हैं। इसलिए दादी लाइट ऑन रखकर ही सो जाती हैं। 

कुछ देर सबकुछ शांत होता है पर अचानक से बत्ती अपने आप एक एक पल में जलने बुझने लगती है।  और इसके साथ ही वे आवाज़ें भी तेजी से बत्ती जलने साथ तेज़ होती बुझने के साथ बंद हो जाती। दादी डरकर कमरे से बाहर निकल ईश्वर को याद करने लगती हैं। उनके बाहर निकलते ही कमरे की लाइट बंद हो जाती है। उन्हें फिर न नींद आती है न ही उस कमरे में बदुबर जाने की हिम्मत होती है।
शाम को वे तृषा रक्षा को फ़ोन कर अमर के जॉब और निशा के फैसले के बारे में बताती हैं।

रक्षा अमर की पोस्टिंग यहीं हो गई है। निशा भी यहीं रहना चाहती है।
दादी में आना जॉब छोड़ के बंगलौर नहीं आऊंगी। नितिन भी इसी शहर में हैं, फिर आगे में वहाँ आकर जॉब प्लान करूँ फिर यहाँ आकर नए सिरे से  फिर से सब करूँ?  बहुत मुश्किल हो जाएगा।

ठीक है बेटा निशा का कैंपस प्लेसमेंट होने के पहले ही में उससे बात करके देखती हूँ। मुझे भी आपकी बहुत याद आ रही है दादी आप कुछ भी करके जल्दी वापस आ जाइए बस।
हाँ बेटा।
उसी शाम दादी निशा को रक्षा की दुविधा बताती है।

जिस पर वह कहती है-  दादी आप चाहें तो चली जाइये यहां अमर है। हमे कोई प्रॉब्लम नही होगी।
एकबारगी वे भी सोचती हैं कि लोगो की बातें बनाने की परवाह न कर उन्हें भी गुना चले जाना चाहिए। लोग तो कहते रहते हैं।   
परंतु रात की घटना के बाद दादी का मन नही करता कि वे उन दोनों को यहाँ अकेले छोड़ कर जाएँ।

समय बीतता है निशा के भी इंटरव्यूज हो जाते हैं एक एमएनसी में उसे भी जॉब मिल जाती है।  अमर भी आफिस जॉइन कर लेता है।

इधर तृषा की भी परीक्षाएँ  शुरू हो चुकी हैं।
रक्षा और वे दोनों एक दूसरे का बहुत अच्छे से ख्याल रख रहे हैं।

एक दिन  रक्षा को नितिन का फ़ोन आता है।
हेलो
हाँ नितिन जी बोलिए
रक्षा में तुमसे मिलना चाह रहा था।
आज?
हॉं आज ही।
ठीक है तो मेरा स्कूल खत्म होने के बाद शाम को 6 बजे किसी  कैफ़े या रेस्टोरेंट में मिलते हैं। साथ डिनर भी कर लेंगे।
नहीं मुझे कुछ बातें करनी थी तुमसे। वहां नही हो पाएँगी।
दोनों रक्षा के स्कूल के पास एक गार्डन में मिलने का तय करते  हैं।
दिनभर रक्षा के मन मे उत्साह कतुहल के साथ हल्की चिंता भी उथल पुथल मचाती रही। नितिन से अकेले में मिलने का यह पहला मौका था। फ़ोन पर बात कईं बार हुई मगर पहली बार अपने होने वाले पति से प्रत्यक्ष मिलकर बात करने में घबराहट का होना स्वाभाविक था।
तय समय पर बढ़ती धड़कनों के साथ उसने अपने कदम गार्डन के गेट की ओर बदहै दिए।
नितिन पहले से वहाँ मौजूद था।
हेलो
हाय
कैसे हैं आप?
ठीक हूँ।
कुछ देर खामोशी रही। रक्षा असमंजस में पड़ गई कि क्या कहे?
नितिन कुछ क्षण शून्य में ताकत रहा फिर अचानक से उसकी ओर देखकर बोला

तुम्हारे माँ पापा का आज तक कुछ पता नहीं चला?
अप्रत्याशित से इस प्रश्न के अचानक तीर की तेजी से आने से वह थोड़ी असहज हो गई।
नही। उसने खुद को संयत रखते हुए शांत भाव से उत्तर दिया।

मैने सुना है तुम्हारी बहन रात को चीखती है घर मे।
नहीं बस वो हादसे के वक़्त से थोड़ी डरी हुई है उसके मन-मस्तिष्क मे घर कर चुका है वो हादसा। माँ पापा की ज्यादा लाडली थी इसलिए शायद उसे ज्यादा याद आती है उनकी। वो कमज़ोर दिल की है जल्दी डर जाती है। डरी सहमी सी रक्षा किसी अपराधी की भांति डरते हुए उत्तर दे रही थी।

अच्छा लेकिन मैंने सुना है, तुम्हारे यहाँ कोई तांत्रिक क्रियाएँ करता है। और ये भी कि तुम्हारी बहन पर कुछ कुछ बुरी शक्तियों.. नितिन के आगे बोलने के पहले ही रक्षा उस पर चिढ़ गई।
नितिन आप कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे किसी अपराधी की तरह कटघरे में खड़े करके आप बस बेसिरपैर के प्रश्न पूछ रहै हैं।
बेसिरपैर नही जो पता चला वही कन्फर्म कर रहा हूँ।
हमारा परिवार बहुत खुले विचारों का है हम ये सब अंधविश्वास में यकीन नहीं करते।

तुम्हारे यकीन न करने से कुछ बदल नहीं जायेगा रक्षा।
तंत्र विद्या होती है हमारे शास्त्रों में इसका उल्लेख है। हमारे जीवन की बहुत सी भौतिक और आध्यात्मिक परेशानियों का हल भी इससे मिलता है।
बस ये अलग बात है कि उसका उपयोग शास्त्रों में मानव जीवन की आम समस्याओं को दूर करने और जनकल्याण के लिए बताया है। पर लोगों ने इसका गलत उपयोग करके तंत्र विद्या को बदनाम कर दिया है।
 खैर मुझे ये भी पता लगा है कि वो तुम्हारी कजिन और अमर कुछ तांत्रिकों के साथ मिलते रहते हैं।

मुझे इस बारे में न कुछ पता है ना जानना चाहती हूँ। आपने मुझे यही सब पूछने के लिए बुलाया था? रुखाई से रक्षा ने कहा। 

नहीं कुछ बताने को भी बुलाया था।
सॉरी बट माँ- पापा नही चाहते अब ये रिश्ता हो।
वे कल तुम्हारी दादी को बताने वाले हैं सोचा मैं तुम्हें कारण, और विस्तार से आज ही सब बता दूँ ताकि तुम प्रिपेयर भी रहो और कोई गलतफहमी भी न रहे।

अच्छा माँ पापा नही चाहते और तुम? पूछते हुए उसकी आंखें भीग गई थी।

जान बूझ के परेशानियों को गले कोई नही लगता है कहकर नितिन उठ गया रक्षा उसे देखती रह गई।

वैसे वह कोई रिश्ता टूटने पर इतनी दुखी नही हुई क्योंकि बात इतनी आगे बढ़ी ही नही थी। यहाँ शादी तक तय हो जाने के बाद जब उसके मन मे भी नितिन के लिए भावनाएँ जागने लगी थी, इस तरह सबकुछ अचानक बिखर जाने से वह बुरी तरह टूट गई थी।
घर गई तो उसका मन बहुत खराब था वह तृषा पर भी चिढ़ने लगती है।

दादी को दूसरे दिन नितिन के पेरेंट्स का फ़ोन आता है।
अरे नितिन की माँ!! कोरी अफवाहें हैं ये सब एक्सीडेंट हुआ था उनका। हाँ तुम सही कह रही हो, कुछ समस्याएँ शुरुआत में फ़ेक्टरी में  हुई थीं ऐसी।  मगर अब सब ठीक है रक्षा का इन सबसे कुछ कुछ लेना देना नही है। आपको किसी ने भड़काया है। बहुत समझाने पर भी वो नहीं मानते। दादी रक्षा को फ़ोन करती है वह नहीं उठाती। तृषा से बात करने पर वह कहती है दीदी सो गई है। दादी उसे सारी बात बताकर कहती है तुम रक्षा का ख्याल रखना। इसी हफ्ते में मैं आने की कोशिश करूँगी।

अमर और निशा का आफिस एक ही रुट पर चार से पाँच किलोमीटर के अंतराल पर ही था। टाइम भी लगभग एक ही था। सो वे दोनों साथ जाते साथ ही आते। निशा अपने ऑफिस की एक-एक बात अमर से शेयर करती।
अमर अपने केयरिंग नेचर के कारण उसका उसके दिल में धीरे-धीरे घर करता जा रहा था।
एक बार उसे तेज़ बुखार आया तब भी अमर ने उसका का खूब ख्याल रखा।  अब धीरे धीरे अमर के प्रति उसका आकर्षण बढ़ता जा रहा था। बिना अमर के कुछ पल भी रह पाना उसे मुश्किल लगता। जितना ख्याल अमर उसका रखता था उतना ही निशा भी उसकी पसन्द नापसन्द की परवाह करती। उनके एक दूसरे के प्रति बढ़ती चिंता की ओर दादी का भी बराबर ध्यान था।

अगले दिन ऑफिस से वापस आते हुए निशा अमर से कहती है आज तुम्हे एक बहुत अच्छी कॉफी ट्रीट देती हूँ, फिर तुम भी कॉफी के फैन हो जाओगे।
अमर तैयार हो जाता है।
निशा और अमर किसी कॉफी शॉप में बैठे हैं।
तुम्हे पता है अमर तुम्हारा प्लेसमेंट यहाँ हुआ न तो मुझे बहुत खुशी हुई।  गुना में सब कुछ होते हुए भी यहाँ आने के बाद मुझे महसूस हुआ कि  वहां रहते हुए में अपने घर, यहाँ के माहौल और अपने कमरे को बहुत मिस करती थी।

हाँ होता है। आखिर तुम्हारा पूरा बचपन बीता है यहां। वैसे मुझे भी गुना बहुत पसंद है। वहाँ शांत माहौल है और हमारे बचपन की बहुत सी अच्छी यादें। लेकिन फिर भी मुझे तुम्हारा शहर ज्यादा पसंद है क्योंकि जिस तरह की फ़ास्ट ग्रोथ में चाहता हूँ न वो यहीं या किसी मेट्रो सिटी में ही पॉसिबल है।

हम्म तुम्हें तुम्हारा सपना भी तो पूरा करना है। मेरा नहीं पापा का।
हाँ! एक ही तो बात है। कहते हुए वे मुस्कुराहटों और गपशप के बीच कॉफी खत्म करते हैं।
चलें अब?
हाँ, चलो आज तुम्हें दूसरा रूट दिखाती हूँ।  ट्रैफिक नहीं मिलता वहां। थोड़ा सुनसान जंगल एरिया है मगर शॉर्टकट है। कभी तुम्हे देर हो जाए तो वो रास्ता ले सकते हो।

ओके निशा मैडम कहकर अमर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है। 

बाहर निकल कर कुछ दूरी पर एक सुनसान सड़क पर उनकी कार खराब हो जाती है। आसपास उन्हें कोई मकैनिक या गैराज भी नहीं दिखता। शार्ट कट लेने में देखो क्या हो गया अब कितना टाइम वेस्ट होगा।

ले आई आखिर किस्मत यहाँ!? न आते तो ठीक था अब रोओगे सब खून के आँसू। तेज़ी से आती इस आवाज़ की दिशा में उन्होंने देखा तो वह रोड के उस पर झाड़ियों से आ रही थी। कौन है वहाँ? अरे होगा कोई पागल अमर। ये रास्ता ही ऐसा है ज्यादा कोई नही आता जाता यहाँ से।

तुम क्यों ले आई फिर देवीजी?

अचानक से  काले वस्त्रों में एक भभूतधारी तांत्रिक सा दिखने वाला शख्स उनके सामने आकर खड़ा हो गया। निशा उसे देखते ही डर गई और अमर के पीछे खड़ी हो गई।
कौन हो तुम क्या कर रहे हो यहाँ अमर ने उससे पूछा।

जोर से हंसते हुए वह बोला मेरे घर मे आकर मुझ से सवाल कर रहा है!? तू किससे पूछ के आया यहाँ!? ओह्ह तुझे तो आना ही था यहाँ। अमर के मस्तक की ओर देखकर उस पर जैसे कुछ पढ़ते हुए  वह बोला। क्या बकवास लगा रखी है आपने जाइये यहाँ से।
मैं तो जा ही रहा हूँ। बेहतर है तू वापस लौट जा। कहकर वह उसी तरफ झाड़ियों में चला गया।
चलो यहाँ से कैसे भी निकलते हैं न जाने कौन कौन से लुटेरे क्या भेस बनाकर बैठे हैं यहाँ। अमर निशा से कहकर एक बार फिर गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश करता है। और वह एक ही बार में शुरू हो जाती है
कमाल है!!! उन दोनों के मुँह से अचानक एक साथ निकलता है। ओर एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते हैं। अचानक वैसा ही एक और तांत्रिक वेशधारी शख्स गाड़ी के बोनेट पर हाथ ठोक जोर से चिल्लाता है। उसकी आंखें क्रोध से लाल हैं पूरा चेहरा एक अनजाने तेज से दमक रहा है।

मुझे नही मिली लाशें। वादा क्यूँ किया था मुझसे पाँच लाशों का। 
अगर मेरी मांगी चीज़ मुझे नहीं मिली न...
क्या होगा आगे? किसने उस तांत्रिक से कैसे वादा किया? क्या अमर किसी मुसीबत में फंसने वाला है? अगर हाँ तो क्यों और कैसे? या ये सारी मुसीबतें उसी की वजह से खड़ी हुई हैं? जानने के लिए पढ़ते रहें। रूह का रिश्ता



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